Book Title: Tirthankar Charitra Part 2
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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विद्याओं का विनाश और लंकासुन्दरी से लग्न
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छह महीने में सिद्ध होती थी, वह आपकी सहायता से क्षणभर में सिद्ध हो गई। आपने हम पर बड़ा उाहार किया"--सब से बड़ो राजकुमारी ने कहा।
-"राजनन्दिनी ! साहसगति को मारने वाले तो रामभद्रजी हैं। मैं उन्हीं के कार्य के लिए लंका जा रहा हूँ।" उन्होंने सीता-हरण सम्बन्धा वृत्तांत कह सुनाया। तीनों राजकुमारियाँ अपने पिता के पास आई। गन्धर्वराज, अपनी पुत्रियाँ और विशाल सेना ले कर रामभद्रजी की सेवा में किकिधा गये।
विद्याओं का विनाश और लंकासन्दरी से लग्न
___ लंका के समीप आते ही लंका की रक्षा करने वाली 'शालिका' नाम की विद्या-- जो अत्यन्त काले वर्ण की और भयंकर रूप वाली थी, हनुमान को दिखाई दी। वह क्रोध पूर्वक हनुमान को ललकारती हुई बोली-"अरे ओ वानर ! तू यहाँ क्यों आया और कहां जा रहा है। मैं आज तेरा मक्ष ग कहेंगी"--इस प्रकार कह कर उसने अपना मुंह खोला। हनुमान सावधान ही थे। वे गदा ले कर उसके मुंह में घुस गए और पेट फाड़ कर बाहर निकल आए। उस विद्या ने लंका के बाहर एक किले जेसा रक्षा-प्राकार बना रखा था। हनुमान ने अपनी विद्या के सामर्थ्य से उसे मिट्टी के पात्र की भाँति तोड़ कर नष्ट कर दिया। वज्रमुख नामका एक राक्षस उस प्राकार की रक्षा कर रहा था। वह उग्र क्रोधावेश में युद्ध करने आया। किन्तु हनुमान ने उसे भी मार डाला । वज्रमुख के मरते ही उसकी 'लंकासुन्दरी' नाम की पुत्री--जो अनेक प्रकार की विद्याओं में निपुण थी, हनुमान से युद्ध करने आई। वह हनुमान पर बारंबार प्रहार करने लगी और हनुमान कौतुक पूर्वक उसके प्रहार को निष्फल करने लगे। अन्त में वह अस्त्र-विहीन हो गई। उसको आश्चर्य हुआ कि--" यह वीर पुरुष कौन है ? कितना तेजस्वी और पराक्रमी है।" वह अनिमेप दृष्टि से हनुमान को देखने लगी। उसके मन में काम ने प्रवेश किया। वह हनुमान पर मोहित हो गई। उसने हनुमान से कहा
___ "हे धीर वीर महानुभाव ! मैने पिता के वध से क्रुद्ध हो कर आप से युद्ध किया, किंतु आपने मेरे सभी अस्त्र व्यर्य कर दिये । सचमुच आप अद्भुत पुरुष हैं। मुझे पहले एक साधु ने कहा था कि-"तेरे पिता को मारने वाला ही तेरा पति होगा।" उन महात्मा की बात आज सफल हो रही है। अब आप मुझे स्वीकार करलें । आप जैसे महापराक्रमी पति को पा कर मैं गौरवान्वित होऊँगी।"
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