Book Title: Tirthankar Charitra Part 2
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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गंगदत्त मुनि का चरित्र
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'जो पुद्गल परिणत हो रहे हैं और अभी पूर्ण रूप से परिणत नहीं हुए, उन्हें परिणत नहीं कहा जा सकता ।"
गंगदत्त ने कहा - " परिणत होते हुए पुद्गलों को परिणत कहना सत्य है । वे अपरिणत नहीं रहे। जिन में परिणमन नहीं हो रहा हो, वे ही अपरिणत कहलाते हैं ।" मिथ्यादृष्टि देव इस उत्तर से अवाक् रह गया ।
मिथ्यादृष्टि देव को उत्तर दे कर गंगदत्त देव ने तिच्छे लोक में अपने अवधिज्ञान के उपयोग से भगवान् महावीर को जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र के उल्लकतीर नगर के एक जम्बूक उद्यान में देखा और तत्काल वहाँ आया । भगवान् को वन्दना - नमस्कार कर के गंगदत्त देव ने भगवान् से मिथ्यादृष्टि देव से हुई बात कही । भगवान् ने कहा--" गंगदत्त ! तुम्हारा उत्तर सत्य एवं यथार्थ है । मैं भी ऐसा ही कहता हूँ ।"
इसके बाद गंगदत्त देव ने अपनी भव्यता आदि विषय में प्रश्न किया और उत्तर पाकर संतुष्ट हुआ ।
गंगदत्त देव भगवान् के समीप उपस्थित हुआ, उसके पूर्व शकेन्द्र भगवान् से प्रश्न पूछ रहा था और भगवान् ने उत्तर दिये थे। उसी समय अचानक शकेन्द्र संभ्रांत हो कर उठा और भगवान् को वन्दना - नमस्कार कर के अपने विमान में बैठ कर लौट गया । शक्रेन्द्र के इस प्रकार लौट जाने पर श्री गौतम स्वामीजी ने भगवान् से पूछा :
'भगवन् ! पहले कई बार शक्रेन्द्र आया, तब धैर्य्य-पूर्वक वन्दन- नमस्कार कर पर्युपासना करता, परंतु आज तो शीघ्रता से पूछ कर उद्विग्नता पूर्वक लौट गया, इसका क्या कारण है ?"
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भगवान् ने कहा--" गौतम ! गंगदत्त देव, महाशुक्र देवलोक से यहाँ आ रहा है, यह जान कर शक्रेन्द्र उसके आने के पूर्व ही चला जाना चाहता था। गंगदत्त देव की ऋद्धि, द्युति, प्रभा एवं तेज, शक्रेन्द्र सहन नहीं कर सकता था, इसलिये वह शीघ्र ही चला गया।"
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टीकाकार लिखते हैं कि शक्रेन्द्र का जीव कार्तिक सेठ और गंगदत्त सेठ समकालीन रहे । दोनों हस्तिनापुर के रहने वाले थे। गंगदत्त सेठ पहले तो समृद्धिशाली था, परंतु बाद में ऋद्धि-विहीन हो गया था । उस समय कार्तिक सेठ विपुल सम्पत्ति का स्वामी बन गया था और दोनों में ईर्षा भाव रहता था । देव भव में गंगदत्त सातवें देवलोक का देव है और शक्रेन्द्र से विशेष समृद्ध है । अतएव पूर्वभव का मात्सर्य भाव यहाँ भी उदय में आया । इसी कारण शक्रेन्द्र शीघ्र लौट गया है ।
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