Book Title: Tirthankar Charitra Part 2
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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तीर्थकर चरित्र desesesedededesesesesesesesedesesesedesesedesdesesesesestedesedododedesesasessesterestionisterio.fiedeodesiestased ofesbstesterience
गम की बात जान कर रानी सुभद्रा चौंकी। रानी चतुर थी । उसने स्थिति सँभाली । पुत्री को सान्त्वना दे कर गुप्त रूप से गर्भ का पालन करने लगी। गर्भस्थ जीव कोई प्रभावशाली था। उसके प्रभाव से कुन्ती में भी साहस का मंचार हुआ ! वह निर्भय हुई । उसके हृदय में उदारता का भाव भी वृद्धिंगत हुआ । गर्भकाल पूर्ण होने पर एक तेजस्वी बालक का जन्म हुआ । पुत्र-जन्म के पूर्व ही रानी ने कुन्तो के लोकापवाद को मिटाने के लिए, पूत्र को त्यागने की योजना बना ली थी। कुन्ती को अपने सद्यजात सुन्दर एवं तेजस्वी पुत्र का त्याग करते समय बहुत शोक हुआ। किन्तु लोकापवाद से बचने के लिए हृदय कड़ा कर के वह दुष्कृत्य भी स्वीकार करना पड़ा । पुत्र को वस्त्र और आभूषण पहिना कर पेटी में सुलाया और पेटी बन्द करके चुपके से नदी में बहा दी।
कालान्तर में कुन्ती स्वस्थ हुई। महारानी सुभद्रा ने अपने पति से कुन्ती-पाण्डु मिलन से लगा कर पुत्र-विसर्जन तक की सारी कथा कह सुनाई और कुन्ती का पाण्डु राजा से प्रकट रूप में लग्न कर देने की विनती की। राजा अन्धकवष्णि के सामने अब कोई अन्य मार्ग था ही नहीं । उसने अपने पत्र युवराज धरण के साथ कुन्ती को ह स्तनापूर भेजने का निश्चय किया।
शुभ महूर्त में राजकुमार धरण ने अपनी बहिन कुन्ती और हाथी, घोड़े, रत्न, आभूषण आदि विपुल दहेज ले कर, विशाल सेना के साथ प्रस्थान किया। उन्होंने एक सन्देशवाहक पहले ही हस्तिनापुर भेज दिया था । हस्तिनापुर की सीमा पर युवराज धरण और राजकुमारी कुन्ती का, राज्य की ओर से भव्य स्वागत हुआ। उन्हें आदरयुक्त नगर के बाहर उद्यान में ठहराया गया, फिर शुभ मुहूर्त में पाण्डु का कुन्ती के साथ लग्न-समारभ किया गया। विवाहोपराँत युवराज धरण को सम्मानपूर्वक विदा किया गया । दम्पनि सुखोपभोग में समय बिताने लगे।
युधिष्ठिरादि पाण्डवों की उत्पत्ति
कालान्तर में कुन्ती गर्भवती हुई । गर्भकाल पूर्ण होने पर कुन्ती ने एक तेजस्वी सौम्य प्रकृति वाले वीर बालक को जन्म दिया। इस पुत्र का नाम ‘युधिष्ठिर' दिया गया :
इसके बाद कालान्तर में कुन्ती रानी ने फिर गर्भ धारण किया। स्वप्न में उसने देखा-आकाश-मण्डल में भयंकर आँधी चल रही है, बड़े-बड़े वृक्ष उड़ कर उड़ रहे हैं ।
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