Book Title: Tirthankar Charitra Part 2
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 625
________________ वासुदेवों का ध्वनि-मिलन उस समय धातकी-खण्ड के पूर्वार्द्ध में 'चम्पा' नाम की नगरी थी, त्रिखण्डा धपति 'कपिल' नामक वासुदेव की वह राजधानी थी। तीर्थंकर भगवान् मुनिसुव्रतस्वामी उस समय चम्पा नगरी में धर्मदेशना दे रहे थे और कपिल-वासुदेव सुन रहे थ। उसी समय श्रीकृष्ण के अमरकंका में किये हुए शंखनाद की ध्वनि कपिल-वासुदेव को सुनाई दी। ध्वनि सुन कर उनके मन में सन्देह उत्पन्न हुआ कि क्या मेरे राज्य में भी कोई दूसरा वासुदेव उत्पन्न हुआ है ? मेरे ही समान शंख-नाद करने वाला यह कौन है ? __कपिल के सन्देह को प्रकट करते हुए तीर्थंकर भगवान् ने कहा--"कपिल ! एक क्षेत्र, एक युग, एक समय में दो तीर्थंकर, दो चक्रवर्ती, दो बलदेव और दो वासुदेव हों ऐसा कभी नहीं हुआ और न कभी होगा। यह जो शंखनाद किया है, वह जम्बूद्वीप के भरत-क्षेत्र के कृष्ण-वासुदेव ने किया है। अमरकंका का पद्मनाभ, द्रौपदी का हरण कर के लाया था। उसे लेने पाण्डवों के साथ कृष्ण आये । पद्मनाभ के साथ हुए संग्राम में उन्होंने शंखनाद किया जो तुमने सुना है।" कपिल का सन्देह मिटा । वह उठा और भगवान को नमस्कार कर के बोला-- "भगवन् ! मैं जाऊँ और कृष्ण-वासुदेव जैसे उत्तम-पुरुष को देखू ।" "कपिल ! ऐसा कभी नहीं हो सकता कि एक तीर्थंकर दुसरे तीर्थंकर को देखें, एक चक्रवर्ती, एक वासुदेव और एक बलदेव, दूसरे चक्रवर्ती, वासुदेव और बलदेव को देखें। किंतु तुम लवण-समुद्र में जाते हुए कृष्ण के रथ की ध्वजा के अग्रभाग को देख सकोगे।" कपिल-वासुदेव भगवान् की वन्दना कर के समुद्र तट पर आये। उन्हें श्रीकृष्ण के रथ की श्वेतपीत ध्वजा का अग्रभाग दिखाई दिया। उन्होंने सोचा--'ये मेरे समान पुरुषोत्तम कृष्ण-वासुदेव हैं । उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए कपिल नरेश ने शंखनाद किया और शंख द्वारा सन्देश भेजा--" में कपिल आपका दर्शन करने का इच्छक हैं। कृपया लौट कर यहाँ पधारें ।" कपिल का शंखनाद सुन कर कृष्ण ने भी शंखनाद किया और कहा--"मित्र ! मैं आपके स्नेह को स्वीकार करता हूँ। किन्तु अब बहुत दूर आ गया हूँ। अब लौटना सम्भव नहीं है ।" दोनों उत्तम पुरुषों का शंखनाद द्वारा मिलना हुआ। वहां से लौट कर कपिल नरेश अमरकंका नगरी में गये और पद्मनाभ से पूछा-- "पद्मनाभ ! नगरी की यह भग्नावस्था कैसे हो गई ?" पद्मनाभ बोला-"स्वामिन् ! जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र के कृष्ण वासुदेव ने यहाँ आ कर आपके राज्य में आक्रमण किया और इस नगर को खण्डहर बना दिया। यह आपका Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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