Book Title: Tirthankar Charitra Part 2
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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पाण्डवों पर भयंकर विपत्ति
कककककककककक
ने सुना, तो अश्वसेना का पीछा छोड़ कर द्रोपदी को छुडाने के लिए चल दिये । पाण्डवों को बुलावे में डाल कर वह पुरुष द्रौपदी को ले कर सेना में आ पहुँचा। अर्जुन ने उसे देख', तो उस पर भीषण बाण वर्षा प्रारम्भ कर दी और उसके बाद चारों बन्धु भी उसके निकट आ कर लड़ने को तलर हुए। उस पुरुष पर पाण्डवों की मार का कोई प्रभाव नहीं हुआ। उसने द्रौपदी पर कोड़े ( चाबुक ) की मार प्रारम्भ कर दी । इधर पाण्डवों को जोरदार तृषा लगी । प्यास के मारे युधिष्ठिर ने कहा
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ककककककककक
" बन्धुओं ! मुझे बहुत जोर की प्यास लगी है। शीघ्रता करो और कहीं से पानी लाओ । प्यास बुझा कर हम इस डाकू से द्रौपदी को छुड़ावेंगे। यह डाकू भी कोई शक्तिशाली है और यहाँ से कहीं जाने वाला नहीं है ।"
धर्मराज की आज्ञा का पालन करने के लिए नकुल और सहदेव चले । खोज करने पर थोड़ी दूर पर ही उन्हें एक सुन्दर जलाशय मिला । तरुपत्रों के दोने बना कर उन्होंने उसमें जल भरा और दोनों ने भरपेट जल पिया । इसके बाद वे दोने उठा कर चले । किंतु कुछ चरण चलने के बाद उनके पाँव लड़खड़ाये और वे दोनों चक्कर खा कर गिर पड़े। वे मूच्छित हो कर इस प्रकार पड़े थे कि जैसे मुर्दे पड़े हों ।
जब नकुल और सहदेव को लौटने में विशेष विलम्ब हुआ, तो युधिष्ठिर ने अर्जुन को उनकी तथा जल की खोज में भेजा । अर्जुन भी चरण चिन्हों के सहारे उसी स्थल पर पहुंचा, जहाँ दोनों भाई मूच्छित पड़े थे । उन्हें मूच्छित देख कर अर्जुन शोकमग्न हो गया । थोड़ी देर में उसे भान हुआ । उसने सोचा- पहले ज्येष्ठ बन्धू को पानी पिलाऊँ, फिर इनकी मूर्च्छा हटाने का प्रयत्न करूँगा । सरोवर के निकट आ कर उसने पानी पिया और कमलपत्र का दोना बना कर, जल मर कर चला । उसे भी चक्कर आये और लड़खड़ा कर वह भी उन दोनों के निकट गिर गया। अर्जुन को गये विलम्ब हुआ, तो भीमसेन को भेजा गया और युधिष्ठिर, द्रोपदी बौर उसके हरण करने वाले पर दृष्टि लगाये रहा । भीम की भी बही दशा हुई, जो अन्य तीन भाइयों की हुई थी । वह भी उनके पास ही निश्चेष्ट पड़ा - अन्त में धर्मराज आये और अपने चारों भाइयों को मूच्छित देख कर विलाप करने । उनका विलाप भावावेय में बढ़ता ही जा रहा था कि उनके सामने एक भील आया और कहने लगा-
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" अरे ओ कायर ! यहाँ बैठा स्त्रियों के समान क्यों रो रहा है ? तेरी पत्नी को वह दुष्ट पुरुष निर्वस्त्र कर के कोड़े मार रहा है और वह विचारी- " हा प्रायेश !" "हा
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