Book Title: Tirthankar Charitra Part 2
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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शाम्ब और प्रद्युम्न का विवाह । सपत्नियों की खटपट
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नादपूर्वक घोष किया - " में रुक्मिणी को हरण कर के लेजा रहा हूँ । यदि किसी में शक्ति है, तो रणभूमि में आ कर मुक्त करावे ।"
श्रीकृष्ण आदि चौंके और शस्त्र एवं सेना ले कर दौड़े । युद्ध जमा । किन्तु प्रारम्भ में ही प्रद्युम्न ने श्रीकृष्ण के धनुष की डोरी काट दी और श्रीकृष्ण को शस्त्रविहीन कर दिया | श्रीकृष्ण स्तंभित रह गए। किन्तु उनकी दाहिनी भुजा फड़कने लगी और हृदय हर्षित होने लगा । इतने में नारदजी ने आ कर प्रद्युम्न का परिचय दिया । बस, सारा वातावरण, हर्षोल्लास से परिपूर्ण हो गया । श्रीकृष्ण ने बड़े ठाठ से पुत्र का नगर प्रवेश
कराया ।
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शाम्ब और प्रद्युम्न का विवाह
प्रद्युम्न का नगर प्रवेश महोत्सव हो रहा था । उसी समय दुर्योधन ने आ कर श्रीकृष्ण से निवेदन किया- 'मेरी पुत्री जो आपके पुत्र भानुक के साथ लग्न करने आई थी, किसी ने हरण कर लिया है । उसकी खोज होनी चाहिए ।" श्रीकृष्ण ने कहा - " आप सावधान नहीं रहते । अब उसका पता लगाने में कितना समय लगेगा ? आपको मालूम है कि प्रद्युम्न कितने वर्षों में मिला ?" प्रद्युम्न बोला - " आप चिन्ता नहीं करें। मैं अपनी विद्या के बल से पता लगा कर लौटा लाऊँगा ।" वह गया और थोड़ी ही देर में उस स्वयंवण को ले आया, जिसे उसीने, अपना चमत्कार दिखाने के लिए उड़ाया था । दुर्योधन उसके लग्न प्रद्युम्न के साथ करने लगा, परन्तु प्रद्युम्न ने अस्वीकार करते हुए कहा"यह मेरे छोटे भाई के लिए आई, इसलिए मेरे अग्राह्य है ।" उसका लग्न भानुकुमार के साथ और कुछ विद्याधर कन्याओं तथा अन्य राजकन्याओं का लग्न प्रद्युम्नकुमार के साथ किया ।
सपत्नियों की खटपट
महारानी सत्यभामा, प्रद्युम्नकुमार का प्रभाव देख कर ईर्षा से जलती भी । उसकी प्रशंसा सुन कर एकबार महारानी का द्वेष भड़क उठा। वह कुपित हो कर कोपगृह में जा कर सो गई । जब श्रीकृष्ण ने महारानी को नहीं देखा, तो खोजते हुए उस अन्धेरी
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