Book Title: Tirthankar Charitra Part 2
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________
तीर्थङ्कर चरित्र
करते हुए देखा। उसने पुत्र को अपनी गोद में ले कर कुछ समय खेलाया और फिर लौट आई । इसके बाद तो देवकी गो-पूजा के निमित्त प्रतिदिन गोकुल जा कर पुत्र को देखने लगी। इसी निमित्त से लोगों में गो-पूजा का व्रत चालू हुआ।
शकुनी और पूतना का वध
वसुदेवजी का शत्रु सूर्पक विद्याधर की पुत्रियाँ शकुनी और पूतना अपने पिता का वैर लेने को तत्पर हुई। वे किसी भी प्रकार से वसुदेवजी का अहित करना चाहती थी। कोई अन्य उपाय नहीं देख कर, कृष्ण को मारने के लिए वे गोकुल में आई । उस समय नन्द और यशोदा कहीं गये हुए थे और कृष्ण, घर के आगे रही हुई गाड़ी के निकट खेल रहे थे । पूतना ने अपने स्तनों पर विष लगाया और कृष्ण को मारने के लिए स्तनपान कराने लगी। सान्निध्य रहे हुए देव के प्रभाव से विष मधुवत् हो गया । कृष्ण उसको छाती पर चढ़ कर स्तन-पान करने लग । देव-सहाय्य से पूतना का रक्त तक खिच गया और वह मृत्यु को प्राप्त हो गईx | शकुनी यह देख कर उत्तेजित हुई। उसने गाड़ी चला कर कृष्ण को पहिये से कुचल कर मारना चाहा, किंतु देव-प्रभाव से कृष्ण ने उस गाड़ी के प्रहार से ही शकुनी का जीवन समाप्त कर दिया। जब नन्द
ओर यशोदा घर लौटे और उन्होंने अपने घर के आगे डाकिनी जैसी दो स्त्रियों को मरी हुई पड़ी देखी, तो घबराये और निकट ही खेल रहे कृष्ण को उठा कर छाती से लगाया। पास खड़े हुए ग्वालों से नन्द ने पूछा--"ये राक्षसी जैसी स्त्रियाँ कौन है ? ये कैसे मरी और गाड़ी को किसने तोड़ी ?' ग्वालों ने कहा-“ये स्त्रियाँ न जाने कोन है। अकेले कृष्ण ने ही इन दोनों को समाप्त किया । ये दोनों कृष्ण को मारने के लिए आई थी। आपका पुत्र तो महा बलवान है। गाड़ी भी इस राक्षसी को मारने के लिए इन्हीं ने तोड़ी है ।" नन्द और यशोदा कृष्ण के शरीर और अंगोपांग देखने लगे। उन्हें विश्वास हुआ कि कृष्ण का किसी प्रकार का अहित नहीं हुआ, तब उन्हें संतोष हुआ।
। देखो पृष्ठ ३०३ ।
xत्रि.पू. च. में देव द्वारा पूतना का वध होने का उल्लेख है, अन्य कथाओं में स्तनपान से रक्त खिच कर मारने का उल्लेख है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org