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रघुवंशमहाकाव्य
राम का सीता से, लक्ष्मण का सीता की छोटी बहिन उर्मिला से तथा भरत और शत्रुघ्न का जनक के छोटे भाई कुशध्वज की कन्याओं (माण्डवी और श्रुतकीर्ति) से धूमधाम के साथ विवाह हुआ। वे चारों भाई अनुरूप कन्याओं का पाणिग्रहण करके ऐसे लगते थे जैसे साम, दाम, दण्ड, भेद ये चारों उपाय अपनी सिद्धियों-सहित राजा की शोभा बढ़ा रहे हों । जैसे प्रकृति (धातु) और प्रत्यय के योग से पद' सार्थक होता है, ऐसे ही चारों राजकुमारों से वे कन्याएं और उन कन्याओं से राजकुमार सार्थक हो गये। ___ चारों पुत्रों का विवाह करके राजा दशरथ अपनी सेना-सहित अयोध्या को चले। तीन पड़ाव तक उन्हें पहुंचाकर मिथिला-नरेश वापस हो गये। इसी समय सहसा अनेक अशुभ लक्षण प्रकट होने लगे। जैसे तीव्र बाढ़ किनारे के वृक्षों को ढहा देती है ऐसे ही भयंकर आंधी से सैनिकों के पांव उखड़ने लगे। सूर्यमंडल के चारों ओर धारियां दीखने लगीं, दिशाएं मलिन हो गईं। जिधर सूर्य दीखे उसी दिशा में सियार हुअा-हुंा करने लगे। इन अशुभों से घबराकर राजा ने गुरु वसिष्ठ से प्रश्न किया तो उन्होंने 'परिणाम अच्छा होगा' कहकर राजा की व्यथा को हल्का कर दिया। तभी सेना के सम्मुख एक तेजःपुञ्ज प्रकट हुआ जो थोड़ी देर में एक तेजस्वी पुरुष-मूर्ति-सा दीख पड़ा। वे मुनि परशुराम थे जो पिता के अंशरूप में जनेऊ और माता के अंशरूप में धनुष धारण किये ऐसे लग रहे थे मानो सौम्य चन्द्रमा के साथ तीव्र सूर्य हो या शीतल चन्दन वृक्ष से विषधर सर्प लिपटा हो। उन्होंने ऋषि-मर्यादा का उल्लंघन करके पिता की आज्ञा से माता का सिर काटकर पहिले करुणा को जीता फिर पृथ्वी को विजित किया। उनके दाहिने कान में कुण्डल-रूप में रुद्राक्ष के दाने ऐसे लग रहे थे मानो इक्कीस बार क्षत्रियों का अन्त करने की संख्या बता रहे हों। उस समय राजा की दृष्टि दो रामों-एक पिता की हत्या से रुष्ट होकर क्षत्रियजाति का संहार करने को दृढ़प्रतिज्ञ परशुराम और दूसरे अपने बालपुत्र राम-पर एकसाथ पड़ी तो वे घबरा गये। एक (राम) शत्रु था दूसरा (राम) पुत्र । एक सांप के फन पर की मणि-जैसा भयंकर था, दूसरा माला की मणि-जैसा शीतल । राजा के “पूजा की सामग्री ले आयो" इस वचन की उपेक्षा करते हुए वे जला देनेवाली-सी क्रूर दृष्टि से देखते हुए राम की ओर मुड़े और राम को निर्भीक देखकर एक हाथ में धनुष तथा दूसरे में बाण लिए उन्होंने क्रोधपूर्वक कहा