Book Title: Raghuvansh Mahakavya
Author(s): Kalidas Makavi, Mallinath, Dharadatta Acharya, Janardan Pandey
Publisher: Motilal Banarsidass

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Page 1387
________________ . 10 و अनुक्रमणिका सर्गे श्लोकः सर्गे श्लोकः एषा प्रसन्नस्तिमित 13 48 कामं प्रकृतिवैराग्यं स 17 एषोऽक्षमालावलयं 13 43 | कामरूपेश्वरस्त्रस्य | कामिनीसहचरस्य कामि 19 5 ऐन्द्रमस्त्रमुपादाय 15 22 काम्बोजाः समरे सोढुं 4 ऐन्द्रिः किल नखैस्तस्या 12 22 कार्येन वाचा मनसा 5 ऐरावतास्फालनविश्व कार्तिकीषु सवितानह 19 कार्येषु चैककार्यला कण्ठसक्कमृदुबाहु कार्णेन पत्रिणा शत्रुः स 15 कण्डूयमानेन कटं कालान्तरश्यामसुधेषु 16 कथं नु शक्योऽनुनयो काषायपरिवीतेन कराभिघातोत्थितकन्दु 16 83 / किंतु वध्वां तवैत करेण वातायनलम्बि 13 21 किमत्र चित्रं यदि का कलत्रनिन्दागुरुणा किमप्यहिंस्यस्तव कलत्रवन्तमात्मान किमात्मनिर्वादकथामु 14 34 कलत्रवाहनं बाले कनी किंवा तवात्यन्तवियोग 14 कलमन्यभृतासु भाषितं कुमारभृत्याकुशलैरनु कल्याणबुद्धेरथवा 14 कुमाराः कृतसंस्कारा कश्चित्कराभ्यामुपगूढ 6 | कुम्भकर्णः कपीन्द्रेण 12 कश्चिद्विषत्खङ्गहतो 7 कुम्भपूरणभवः पटु कश्चिद्यथाभागमवस्थि कुम्भयोनिरलंकार कातरोऽसि यदि वोद्भता 11 78 कुरुष्व तावत्करभो 13 18 कातर्य केवला नीतिः - 17 47 कुलेन कान्या वयसा न 6 का त्वं शुमे कस्य परिग्र 16 8 कुशावती श्रोत्रियसात्स 16 25 काप्यभिख्या तयोरासी 1 कुशेशयाताम्रतलेन कामं कर्णान्तविश्रान्ते 4 कुसुमं कृतदोहदस्त कामं जीवति मे नाथ 12 75 | कुसुमजन्म ततो नव कामं न सोऽकल्पत पैतृ 18 40 कुसुममेव न केवल कामं नृपाः सन्तु सहस्र 6 22 | कुसुमान्यपि गात्रसंग و و 65 28

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