Book Title: Raghuvansh Mahakavya
Author(s): Kalidas Makavi, Mallinath, Dharadatta Acharya, Janardan Pandey
Publisher: Motilal Banarsidass
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द्वादशसर्ग का कथासार
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के प्रयोग से उसे नष्ट कर दिया। फिर उसने लक्ष्मण पर शक्ति का प्रहार किया जिससे लक्ष्मण तो मूछित हुए ही, उनके शोक से राम भी व्याकुल हो गये। तब हनुमान् ने संजीवनी औषधि लाकर उनकी मूर्छा दूर की और वे पुनः राक्षसों का संहार करने लगे। जैसे शरद ऋतु इन्द्रधनुष को समाप्त कर देती है, ऐसे ही लक्ष्मण ने मेघनाथ को मारकर उसकी गर्जना और धनुष को समाप्त कर दिया। तब रावण का भाई कुम्भकर्ण लड़ने आया। सुग्रीव ने उसके कान और नाक काटकर सूर्पणखा की-सी गति कर दी तो वह राम पर टूट पड़ा और राम ने उसे सदा के लिए सुला दिया ।
अपनी सारी सेना को इस प्रकार विलीन होते देख अब या तो राम ही रहेगा या रावण ही, यह सोचकर रावण स्वयं युद्ध के लिए आया। जब इन्द्र ने देखा कि महाबली रावण रथ पर बैठकर युद्धस्थल में आया है और राम पैदल हैं, तो उसने अपना कपिलवर्ण के घोड़ोंवाला रथ राम के लिए भेज दिया । इन्द्र के सारथि मातलि का सहारा लेकर राम रथपर आरूढ़ हुए और उसने उन्हें इन्द्र का कवच पहिना दिया । बहुत दिनों बाद अपने-अपने पराक्रम का प्रदर्शन करनेवाला राम-रावण का युद्ध मानो संसार में एक आदर्श स्थापित करनेवाला हुआ, क्योंकि दोनों की प्रतिस्पर्धा का आज निर्णय होनेवाला था।
यद्यपि राक्षसों के मारे जाने पर रावण अकेला था, फिर भी १० मुख, २० भुजा और २० पैरों से उसका राक्षसपना स्पष्ट हो रहा था । जिसने सब लोकपालों को जीत लिया था, जिसने अपने मस्तकों की बलि देकर शिवजी को प्रसन्न कर वर प्राप्त किये थे ऐसे रावण को सामने देखकर राम' के हृदय में उसके प्रति आदर का भाव उदय हुआ। सीता-प्राप्ति की सूचना देती हुई राम की फड़कती दक्षिण भुजा में रावण ने बाण का प्रहार किया और राम ने भी रावण पर नागास्त्र का प्रहार किया। जैसे वादी-प्रतिवादी शास्त्रार्थ में एक-दूसरे के वाक्यों को काटते हैं ऐसे ही राम-रावण एक-दूसरे के शस्रों के प्रहार को रोकते थे। मत्त हाथियों की भांति अपनी-अपनी विजय चाहते हुए उन दोनों का जोर बारी-बारी से घटताबढ़ता था और दोनों की विजयश्री डांवाडोल प्रतीत हो रही थी । अन्त में रावण ने राम पर शक्ति का प्रहार किया और राम ने उसे बीच में ही काट डाला तथा रावण पर ब्रह्मास्त्र का प्रहार किया। यह अमोघ अस्त्र था जो व्यर्थ नहीं जाता। मंत्र के प्रयोग से प्रहृत यह ब्रह्मास्र आकाश में हजारों फणोंवाले शेषनाग