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( 38 ) परमाणुओं के संयोग से नहीं बनता। चिकने और रूखे परमाणुओं का परस्पर एकत्व होता है तब स्कंध बनता है अर्थात् स्कंध ही उत्पत्ति का हेतु परमाणुओं का स्निग्ध और रूक्षत्व है।
जघन्य अंशवाले चिकने व रूखे परमाणु मिलकर स्कंध नहीं बना सकते । समान अंशवाले परमाणु, यदि सदृश हो, केवल चिकने हो या रूखे हो, मिलकर स्कंध नहीं बना सकते । स्निग्धता या रूक्षता दो अंश या तीन अंश आदि अधिक हो तो सदृश परमाणु मिलकर स्कंध का निर्माण कर सकते हैं।
दिगम्बर आचार्य स्थूलता और सूक्ष्मता के आधार पर पुद्गल के छः भागों में विभक्त करते हैं
१-बादर-बादर-पत्थर आदि जो विभक्त होकर स्वयं न जुड़े । २-बादर-प्रवाही पदार्थ जो विभक्त होकर स्वयं मिल जायें। ३.- सूक्ष्म-बादर-धूप आदि स्थूल भासित होने पर भी अविभाज्य हैं । ४-बादर-सूक्ष्म-रसादि जो सूक्ष्म होने पर इन्द्रिय गम्य हैं । ५- सूक्ष्म-कर्मवर्गणा आदि जो इन्द्रियातीत हैं।
६ -- सूक्ष्म-सूक्ष्म-कर्मवर्गणा से भी अत्यन्त सूक्ष्म स्कंध । पुद्गल के प्रकार
पुद्गल द्रव्य चार प्रकार का माना गया है१-स्कंध-परमाणुप्रचय । २- स्कंधदेश-स्कंध का कल्पित विभाग । ३-स्कंधप्रदेश- स्कंध से अपृथगभूत अविभाज्य अंश । ४-परमाणु-स्कंध से पृथक् निरंश तत्व ।
प्रदेश और परमाणु में सिर्फ स्कंध से अपृथग्भाव ( अलग होने ) और अपृथगभाव ( जुड़े रहने ) का अन्तर है । पुद्गल कब से और कब तक
प्रवाह की अपेक्षा से स्कंध और परमाणु अनादि-अपर्यवसित है, कारण कि इनकी सतन्ति अनादिकाल से चली आ रही है और चलती रहेगी। स्थिति की अपेक्षा से यह सादि-सपर्यवसन भी है। जैसे-परमाणुओं से स्कंध बनता है और स्कंध-भेद से परमाणु बन जाते हैं ।
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