Book Title: Kasaypahudam Part 05
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [अणुभागविहत्ती ४ एवं मणपज्ज०-संजद--सामाइय-छेदो०--परिहार०--संजदासंजद-खइयसम्मादिहि त्ति । आहार० उक्कस्साणु० जह० एगसमओ, उक्क. वासपुधत्तं । एवमणुकस्सं पि वत्तव्वं । एवमाहारमिस्स०-अवगद०--अकसा०- सुहुमसांपराय०- जहाक्खादसंजदे ति । णवरि अवगदवेद-मुहुमसांपराय० अणुक्क० उक्कं० छम्मासा।
१३३. आभिणि-सुद-ओहि उक्कस्साणु० जह० एगस०, उक्क० असंखेज्जा लोगा । अणुक्क० णत्थि अंतरं । एवमोहिदंस-मुक्कलेस्सि०-सम्मादिहि-वेदग०दिहि ति। उवसमसम्मा० उक्कस्साणु० ज० एगस०, उक्क० असंखेज्जा लोगा। अणुक्क० ज० एगस०, उक्क० सत्तरादिदियाणि । सासण. उक्कस्साणु० ज० एगस०, उक्क० असंखेज्जा लोगा। अधवा उहयत्य उक्कस्संतरमसंखेज्जा लोगा त्ति ण सम्ममवगम्मदे, तदो जाणिय वत्तव्वं । अणुक्क० ज० एगस०, उक्क० पलिदो० असंखे०भागो। सम्मामि० का अन्तरकाल नहीं है। इसी प्रकार मनःपर्ययज्ञानी, संयत, सामायिकसंयत, छेदोपस्थापनासंयत, परिहारविशुद्धिसंयत, संयतासंयत और क्षायिकसम्यग्दृष्टियोंमें जानना चाहिए। आहारककाययोगमे उत्कृष्ट अनुभागविभक्तिका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर वर्षपृथक्त्व है। इसी प्रकार अनुत्कृष्ट अनुभागविभक्तिका भी अन्तर कहना चाहिए। इसी प्रकार आहारकमिश्रकाययोगी, अपगतवेदी, अकषायी, सूक्ष्मसाम्परायसंयत, और यथाख्यातसंयतोंमें जानना चाहिए। इतनी विशेषता है कि अपगतवेदी और सूक्ष्मसाम्परायसंयतोंमें अनुत्कृष्ट अनुभागविभक्तिका उत्कृष्ट अन्तरकाल छ माह है।
विशेषार्थ-अानतसे लेकर सर्वार्थसिद्धि तकके देवोंमें उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट अनुभागवाले जीव सर्वदा उपलब्ध होते हैं, अत: यहाँ दोनों प्रकारके अनुभागवालोंके अन्तरकालका निषेध किया है। इसी प्रकार मनःपर्ययज्ञानी आदि मार्गणाओंमें जानना चाहिए। आहारककाययोगका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर वर्षपृथक्त्वप्रमाण है, इसलिए इनमें उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट अनुभागवालोंका जघन्य अन्तर एक समय और उत्कृष्ट अन्तर वर्षपृथक्त्वप्रमाण कहा है। इसी प्रकार आहारकमिश्रकाययोगी आदि मार्गणाओंमें घटित कर लेना चाहिए। मात्र क्षपकश्रेणिकी अपेक्षा अपगतवेदी और सूक्ष्मसाम्परायसंयत जीवोंका उत्कृष्ट अन्तर छह महीना है, इसलिए इनमें अनुत्कृष्ट अनुभागवालोंका उत्कृष्ट अन्तर छह महीना कहा है। - १३३. आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी और अवधिज्ञानियोंमें उत्कृष्ट अनुभागविभक्तिका जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल असंख्यात लोक है। अनुत्कृष्ट अनुभागविभक्तिका अन्तरकाल नहीं है। इसी प्रकार अवधिदर्शनी, शुक्ललेश्यावाले, सम्यग्दृष्टि और वेदकसम्यग्दृष्टियोंमें जानना चाहिए। उपशमसम्यग्दृष्टियोंमें उत्कृष्ट अनुभागविभक्तिका जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल असंख्यात. लोक है। अनुत्कृष्ट अनुभागविभक्तिका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर सात रात दिन है। सासादनसम्य' ग्दृष्टियों में उत्कृष्ट अनुभागविभक्तिका जघन्य अ.तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर असंख्यात लोक है। अथवा उपशमसम्यग्दृष्टि और सासादनसम्यग्दृष्टिमें उत्कृष्ट अन्तर असंख्यात लोक है यह बात भली प्रकार अवगत नहीं है, इसलिये उनका यह अन्तर जानकर कहना चाहिए। अनुत्कृष्ट अनुभागविभक्तिका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर पल्यके असंख्यातवें
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