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गा० २२]
अणुभागविहत्तीए वड्डीए पोसणं एवं जाणिदूण णेदव्वं जाव अणाहारि त्ति ।
एवं परिमाणाणुगमो समत्तो । $ १८०. खेताणुगमेण दुविहो गिद्दे सो-ओघेण आदेसेण य । ओघेण मोह० सव्वपदविहत्तिया केवडि० खेले ? सव्वलोगे। एवं तिरिक्खोघं । आदेसेण रइयादि जाव सबसिद्धि ति मोहणीयस्स अप्पप्पणो सव्वपदा केव० ? लोगस्स असंखे०भागे। एवं जाणिदूण णेदव्वं जाव अणाहारि त्ति ।
एवं खेत्ताणुगमो समत्तो। १८१. पोसणाणु० दुविहो जिद्द सो-ओघेण आदेसेण य । ओघेण मोह. सवपदाणं खेत्तभंगो । एवं तिरिक्खोघं । आदेसेण णेरइएमु सव्वपदेहि केवडियं खेत्तं पोसिदं ? लोग० असंखे भागो छचोदसभागा वा देणा। पढमपुढवि० खेत्तभंगो । विदियादि जाव सत्तमि त्ति सगपोसणं कायव्वं । सव्वपंचिंदियतिरिक्रव-सव्वमणुस्साणं सव्वपदविहत्तिएहि केव० खे० पो० १ लोग० असंखे०भागो सव्वलोगो वा । देवेसु सव्वपदवि० केव० खेत्तं पोसिदं ? लोग. असंखे भागो अह-णवचोदसभागा वा देसूणा । एवं सव्वदेवाणं । गवरि सगपोसणं जाणिदूण णेयव्वं । एवं णेदव्वं जाव सर्वार्थसिद्धिमें अनन्तगुणहानि और अवस्थितविभक्तिवाले जीव संख्यात हैं। इसप्रकार जानकर अनाहारी पर्यन्त ले जाना चाहिए।
इस प्रकार परिमाणानुगम समाप्त हुआ। ६ १८०. क्षेत्रानुगमसे निर्देश दो प्रकारका है-ओघ और आदेश। ओघसे माहनीयकी सब पद विभक्तिवाले जीव कितने क्षेत्र में हैं ? सर्वलोकमें हैं। इसी प्रकार सामान्य तिर्यञ्चोंके जानना चाहिए। आदेशसे नारकीसे लेकर सर्वार्थसिद्धि पर्यन्त मोहनीयकी अपनी अपनी सब विभक्तिवाले जीव कितने क्षेत्रमें हैं ? लोकके असंख्यातवें भाग क्षेत्र में हैं। इसप्रकार जानकर अनाहारी पर्यन्त ले जाना चाहिये।
__इसप्रकार क्षेत्रानुगम समाप्त हुआ। १८१. स्पर्शनानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है-श्रोध और आदेश। ओघसे मोहनीयकी सब पद विभक्तियोंका स्पर्शन क्षेत्र के समान है। इसी प्रकार सामान्य तिर्यञ्चोंमें जानना चाहिये । आदेशसे नारकियोंमें सब पद विभक्तिवालोंने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? लोकके असंख्यातवें भागका और चौदह भागोंमें से कुछ कम छह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। पहली पृथिवीमें स्पर्शन क्षेत्र के समान है। दूसरीसे लेकर सातवीं पृथिवी पर्यन्त अपने अपने स्पर्शनके समान कथन करना चाहिये। सब पञ्चन्द्रियतिर्यञ्च और सब मनुष्योंमें सब पद विभक्तिवालोंने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? लोकके असंख्यातवें भागका और सर्वलोकका स्पर्शन किया है। देवोंमें सब पद विभक्तिवालोंने कितने क्षेत्र का स्पर्शन किया है ? लोकके असंख्यातवें भागका और चौदह भागोंमें से कुछ कम पाठ और कुछ कम नौ भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। इसी प्रकार सब देवोंमें जानना चाहिए। किन्तु अपने अपने स्पर्शन का
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