Book Title: Kasaypahudam Part 05
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [ अणुभागविहत्ती ४ लोगमेत्ताणि चेव होंति, विरोहादो ।
* एवं सेसकम्माणं ___३६५. जहा मिच्छत्तस्स जहण्णमुक्कस्संच उक्स्साणुभागंतरं परूविदं तहा सेसासेसकम्माणं परूवेदव्वं, विसेसाभावादो । एत्थतणविसेसपरूवणहमुत्तरमुत्तं भणदि ।
* एवरि सम्मत्त-सम्मामिच्छत्ताणं णत्थि अंतरं ।
$ ३६६. कुदो ? सम्मादिहीहितो मिच्छत्तं पडिवज्जमाणाणमंतरं पेक्खिय सम्मत्तसंतकम्मेण मिच्छाइट्ठीणं सम्माइट्टीणं च अच्छणकालस्स असंखे०गुणत्तादो । एवं चुणिमुत्तमस्सिदूणंतरपरूवणं करिय संपहि उच्चारणमस्सियूण अंतरपरूवणं कस्सामो।
__३६७. अंतरं दुविहं-जहण्णमुक्कस्सं च । उक्कस्सए पयदं। दुविहो णिदोसोओघेण आदेसेण य । ओघेण छब्बीसंपयडीणमुक्कस्साणु० अंतरं केव० १ ज० एगस०, उक्क० असंखेजा लोगा। अणुक्क० णत्थि अंतरं । सम्मत्त--सम्मामिच्छत्ताणमुक्का णत्थि अंतरं । अणुक्क० ज० एगस०, उक्क० छम्मासा ।
$ ३६८. आदेसेण णेरइएमु एवं चेव । णवरि सम्मत्त० अणुक्क० ज० एगस०,
अनन्त कारणोंसे असंख्यात कार्योंके होनेमें विरोध है।
* इसी प्रकार शेष कर्मों के उत्कृष्ट अनुभागवालोंका अन्तरकाल कहना चाहिये ।
5 ३९५. जैसे मिथ्यात्वके उत्कृष्ट अनुभागका जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर कहा वैसे ही बाकी के सभी कर्मों का कहना चाहिये, उससे इनके अन्तरकालमें कोई विशेष नहीं हैं । जो कुछ विशेष हैं उसका कथन करनेके लिये आगेका सूत्र कहते हैं
* किन्तु सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वके उत्कृष्ट अनुभागका अन्तरकाल नहीं है।
३९६. क्योंकि सम्यग्दृष्टियोंमें से मिथ्यात्वको प्राप्त होनेवाले जीवोंके अन्तरकालकी अपेक्षा सम्यक्त्वकी सत्ताके साथ मिथ्यादृष्टियों और सम्यग्दृष्टियोंके रहनेका काल असंख्यात गुणा है । इस प्रकार चूर्णिसूत्र के आश्रयसे अन्तरको कहकर अब उच्चारणाके आश्रयसे अन्तरका कथन करते हैं
३६७. अन्तर दो प्रकारका है-जघन्य और उत्कृष्ट । उत्कृष्ट अवसर प्राप्त है । निर्देश दो प्रकारका है - ओघ और आदेश। ओघसे छब्बीस प्रकृतियोंके उत्कृष्ट अनुभागका अन्तर कितना है ? जघन्य अन्तर एक समय और उत्कृष्ट अन्तर असंख्यात लोकप्रमाण है। अनुत्कृष्ट अनुभागका अन्तर नहीं है। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वके उत्कृष्ट अनुभागका अन्तर नहीं है। अनुत्कृष्ट अनुभागका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर छह मास है।
३९८. आदेशसे नारकियोंमें इसी प्रकार है। इतना विशेष है कि सम्यक्त्वके अनुत्कृष्ट अनुभागका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर वर्षपृथक्त्व प्रमाण है। सम्यग्मि
१. ता. प्रती सेसाणं कम्माणं इति पाठः ।
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