Book Title: Kasaypahudam Part 05
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 392
________________ गा० २२ ] अणुभागविहत्तीए हाणपरूवणा ३६३ ६६०४. भागाभागं जहणियाए वग्गणाए कम्मपदेसा सव्ववगणकम्मपदेसाणं केवडिओ भागो ? अणंतिमभागो । एवं णेदव्वं जाव चरिमवग्गणे त्ति । भागाभागं गदं। ६६०५. अप्पाबहुअं-सव्वत्थोवा उक्कस्सियाए वग्गणाए कम्मपदेसा है। जहण्णाए वग्गणाए कम्मपदेसा अणंतगुणा ५१२ । को गुणगारो ? किंचूणण्णोण्ण -----प्रथम वर्गणा-- -> प्रमाण ( ९६) लम्बे क्षेत्र घ क ख ग में से क प फ ख प्रथम वर्गणाप्रमाण विस्तारका एक चौथा भाग - प्र.व.च.भा. प्रमाण क च चौड़ा और डेढ़ गुणहानि लम्बा क्षेत्र च क ख छ के लम्बाईकी अपेक्षा अर्ध गुणहानि - प्रमाण (३२) लम्बे तीन खण्ड क प ट च, प फ . ठट, फ ख छ ठ को रेखा छ ग की दाई ओर इस प्रकार स्थापित करो कि रेखा च ट जो अर्ध गुणहानि (३२) लम्बी है वह रेखा घ ग की सीध में दाई तरफ बढ़कर ग ह का रूप धारण कर ले और रेखा क च । जो प्रथम वर्गणाका चौथा भाग है वह रेखा ग ख पर पड़कर 'त' स्थान तक पहुँच जाय । रेखा टप रेखाव का और रेखा क प रेखा तव का रूप धारण कर लेती है। इस प्रकार क्षेत्र च क प ट की घ-डेढ़ गुणहानि→ ग अर्ध ह गुण बजाय क्षेत्र ग ह व त बन जाता है। इसी प्रकार क्षेत्र ट प फ ठ की रेखा ट ठ को अर्ध गुणहानिप्रमाण (३२) लम्बी रेखा त व पर रखकर रेखा ट प को रेखा त ख पर रखनेसे प्रथम वर्गणाके एक चौथाई भाग स्थान थ तक जाती है। अब क्षेत्र ट प फ ठ की बजाय क्षेत्र त थ ल व बन जाता है। इसी प्रकार रेखा ठ छ को रेखा थल पर रखनेसे और रेखा ठ फ को रेखा थ ख पर विन्दु थ से छ तक पहुँचा देनेसे क्षेत्र ठ फ ख छ की बजाय क्षेत्र थ छ र ल बन जाता है। इससे रेखा घ ग जो डेढ़ गुणहानि प्रमाण लम्बी थी, उसमें अर्ध गुणहानि लम्बी रेखा ग ह के मिल जानेसे रेखा घ ह दो गणहानि प्रमाण लम्बी हो जाती है और प्रथम वर्गणाप्रमाण रेखा घ क में से एक चौथाई प्रथम वर्गणा प्रमाण रेखा क च कम हो जानेसे रेखा घ च तीन चौथाई प्रथम वर्गणाप्रमाण रह जाती है। इस प्रकार नवीन क्षेत्र घ च र ह दो गुणहानिप्रमाण लम्बा और चौथा भाग कम प्रथम वर्गणा प्रमाण चौड़ा बन जाता है जिसका क्षेत्रफल क्षेत्र घ क ख ग के बरावर है। प्रथम वर्गणाकी तीन चौथाई भागप्रमाण यही वह वर्गणा है जो समस्त द्रव्यको दोगुणहानिसे अपहृत करने पर आती है। इस प्रकार अपहारकाल समाप्त हुआ। ६०४. भागाभाग-जघन्य वर्गणामें कर्मप्रदेश सब वर्गणाओंके कितने भागप्रमाण हैं ? अनन्तवें भागप्रमाण हैं । इस प्रकार चरम वर्गणा पर्यन्त जानना चाहिए । इस प्रकार भागाभाग समाप्त हुआ। ९ ६०५. अब अल्पबहुत्व कहते हैं-उत्कृष्ट वर्गणामें कमप्रदेश सबसे थोड़े हैं ९। जघन्य वर्गणामें कर्मप्रदेश अनन्तगुणे हैं ५१२ । गुणकारका प्रमाण क्या है ? कुछ कम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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