Book Title: Kasaypahudam Part 05
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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गा० २२ ] अणुभागविहत्तीए परिमाणं
२२५ संखेजा । अज० असंखेज्जा । अणंताणु०चउक्क० जहण्णाणु० केत्तिया ? असंखेज्जा। अजह० के० अणंता । चदु०संज०-णवणोक० जहण्णाणु० संखेजा। अज० अणंता।
३५४. आदेसेण णेरइए मिच्छत्त-सोलसक०-णवणोक० जहण्णाजहण्णाणु० असंखेज्जा । सम्मत्त० जहण्णाणु० संखेजा। अज० असंखेज्जा । सम्मामि० अज. असंखेज्जा । एवं पढमपुढवि०--पंचिंदियतिरिक्ख--पंचिं-तिरि०पज्ज०-देव-सोहम्मादि जाव अवराइदो ति । विदियादि जाव सत्तमि ति एवं चेव । णवरि सम्मत्त० सम्मामिच्छत्तभंगो । एवं जोणिणी-पंचिंदियतिरिक्खअपज्ज०-मणुसअपज्ज०-भवण०-वाणजोदिसिए त्ति ।
६३५५. तिरिक्ख० मिच्छत्त-बारसक०-णवणोक० जहण्णाजहण्णाणु० केत्तिया ? अणंता । अणंताणु० चउक्क० जहण्णाणु० असंखेज्जा । अज० अणंता । सम्मत्त० ज० संखेज्जा । अज० असंखेज्जा । सम्मामि० अज. असंखेज्जा।
३५६. मणुस्सेसु मिच्छत्त-अदृक० जहण्णाजहण्णाणु० असंखेज्जा । सम्मत्तसम्मामि०--अणंताणु० चउक्क०-चदुसंज०--णवणोक० जहण्णाणु० संखेज्जा । अज० हैं। अजघन्य अनुभागविभक्तिवाले जीव असंख्यात हैं। अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी जघन्य अनुभाग विभक्तिवाले जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। अजघन्य अनुभागविभक्तिवाले जीव कितने हैं ? अनन्त हैं। चार संज्वलन और नव नोकषायोंकी जघन्य अनुभागविभक्तिवाले जीव संख्यात हैं । अजघन्य अनुभागविभक्तिवाले जीव अनन्त हैं।
६३५४. आदेशसे नारकियोंमें मिथ्यात्व, सोलह कषाय और नव नोकषायोंकी जघन्य और अजघन्य अनुभागविभक्तिवाले जीव असंख्यात हैं। सम्यक्त्वकी जघन्य अनुभागविभक्तिवाले जीव संख्यात हैं । अजघन्य अनुभागविभक्तिवाले जीव असंख्यात हैं। सम्यग्मिथ्यात्वकी अजघन्य अनुभागविभक्तिवाले जीव असंख्यात हैं। इसी प्रकार पहली पृथिवी, पञ्चेन्द्रियतिर्यञ्च, पञ्चेन्द्रियतिर्यञ्च पर्याप्त, सामान्य देव और सौधर्म स्वर्गसे लेकर अपराजित विमान तकके देवोंमें जानना चाहिए। दूसरी पृथिवीसे लेकर सातवीं पृथिवी तकके नारकियोंमें ऐसे ही जानना चाहिए। इतना विशेष है कि सम्यक्त्वका भङ्ग सम्यग्मिथ्यात्वके समान है। इसी प्रकार पञ्चेन्द्रियतिर्यञ्च योनिनी, पञ्चेन्द्रियतिर्यञ्च अपर्याप्त, मनुष्य अपर्याप्त, भवनवासी, व्यन्तर और ज्योतिषी देवोंमें जानना चाहिए।
६३५५. सामान्य तिर्यञ्चोंमें मिथ्यात्व, बारह कषाय और नव नोकषायोंकी जघन्य और अजघन्य अनुभागविभक्तिवाले जीव कितने हैं ? अनन्त हैं। अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी जघन्य अनुभागविभक्तिवाले जीव असंख्यात हैं। अजघन्य अनुभागविभक्तिवाले जीव अनन्त है । सम्यक्त्वकी जघन्य अनुभागविभक्तिवाले जीव संख्यात हैं। अजघन्य अनुभागविभक्तिवाले जीव असंख्यात हैं। सम्यग्मिथ्यात्वकी अजघन्य अनुभागविभक्तिवाले जीव असंख्यात है।
__६ ३५६. सामान्य मनुष्योंमें मिथ्यात्व और आठ कषायोंकी जघन्य और अजघन्य अनुभागविभक्तिवाले जीव असंख्यात हैं। सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व, अनन्तानुबन्धीचतुष्क, चार संज्वलन और नव नोकषायोंकी जघन्य अनुभागविभक्तिवाले जीव संख्यात हैं। अजघन्य
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