Book Title: Kasaypahudam Part 05
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 240
________________ मा० २२ ] अणुभागविहत्तीए अंतरं उक्क० अद्धपोग्गलपरियट्ट देसूर्ण । अणंताणु० चउक० जहण्णा० ज० अंतोमु०, उक्क. उवडपोग्गलपरियट्ट । अज० ज० अंतोमु०, उक्क० वेछावहिसागरो० देसूणाणि । चदुसंजलण-णवणोक० जहण्णाजहण्णाणु० णत्थि अंतरं । $ ३२२. आदेसैण णेरइएसु मिच्छत्त-बारसक०-णवणोक० जहण्णाजहण्णाणु० पत्थि अंतरं । अणंताणु० चउक्क० जहण्णाजहण्णाणु० ज० अंतोमु०, उक्क० तेत्तीसं सागरो० देसूणाणि । सम्मत्त० जहएणाण. पत्थि अंतरं। सम्मत्त०-सम्मामि० अज० ज० एगस०, उक्क० तेत्तीसं सागरो. देसणाणि । एवं पढमाए। णवरि सगहिदी देसूणा । विदियादि जाव सत्तमि त्ति मिच्छत्त--सोलसक०--णवणोक० जहण्णाजहण्णाणु० ज० अंतोमु०, उक्क० सगहिदी देसूणा। ६३२३. तिरिक्खगईए तिरिक्खेसु मिच्छत्त-बारसक०-णवणोक० जहण्णाणु० जह• अंतोमु०, उक. असंखेज्जा लोगा । अज० जहण्णुक० अंतोमु० । सम्मत्त० ज० णत्थि अंतरं । सम्मत्त०--सम्मामि० अज० ज० एगस०, उक्क० अदपोग्गलपरिय देसूणं । अणंताणु०चउक्क. जह० ज. अंतोमु०, उक्क० अद्धपो०परियट्ट देसणं । नहीं है। अजघन्य अनुभागसत्कर्मका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर कुछकम अर्धपुद्गलपरावर्तनप्रमाण है । अनन्तानुबन्धीचतुष्कके जघन्य अनुभागसत्कर्मका जघन्य अन्तर अन्तमुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तर कुछकम अर्धपुद्गलपरावर्तनप्रमाण है। अजघन्य अनुभागसत्कर्मका जघन्य अन्तर अन्तमुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तर कुछकम दो छियासठ सागर है। चारों संज्वलन कषायों और नव नोकषायोंके जघन्य और अजघन्य अनुभागका अन्तर नहीं है। ३२२. आदेशसे नारकियोंमें मिथ्यात्व, बारह कषाय और नव नोकषायोंके जघन्य और अजघन्य अनुभागसत्कर्मका अन्तर नहीं है। अनन्तानुबन्धीचतुष्कके जघन्य और अजघन्य अनुभागसत्कर्मका जघन्य अन्तर अन्तमुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तर कुछकम तेतीस सागर है। सम्यक्त्वके जघन्य अनुभागसत्कर्मका अन्तर नहीं है। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वके अजघन्य अनुभागसत्कर्मका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर कुछकम तेतीस सागर है । इसी प्रकार पहली पृथिवीमें जानना चाहिए। इतना विशेष है कि उत्कृष्ट अन्तर कुछकम अपनी स्थितिप्रमाण है। दूसरीसे लेकर सातवीं पृथिवी तकके नारकियोंमें मिथ्यात्व; सोलह कषाय और नव नोकषायोंके जघन्य और अजघन्य अनुभागसत्कर्मका जघन्य अन्तर अन्तमुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तर कुछकम अपनी अपनी स्थितिप्रमाण है। ३२३. तिर्यञ्चगतिमें तिर्यञ्चोंमें मिथ्यात्व, बारह कषाय और नव नोकषायोंके जघन्य अनुभागका जघन्य अन्तर अन्तमुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तर असंख्यात लोकप्रमाण है। अजघन्य अनुभागसत्कर्मका जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर अन्तर्मुहूर्त है। सम्यक्त्वके जघन्य अनुभागका अन्तर नहीं है । सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वके अजघन्य अनुभागसत्कर्मका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर कुछ कम अर्धपुद्गलपरावर्तनप्रमाण है । अनन्तानुबन्धी चतुष्कके जघन्य अनुभागसत्कर्मका जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तर कुछ कम अर्धपुद्गलपरावतनप्रमाण है। अजघन्य अनुभागसत्कर्मका जघन्य अन्तर अन्तमुहूर्त है और Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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