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३, ४, ५,
६, ७, ८
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गाथा १०, ११
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१३, १४
मूल प्रकृतियों की प्रदेश - उदीरणा की साद्यादि प्ररूपणा उत्तर प्रकृतियों की प्रदेश - उदीरणा की साद्यादि प्ररूपणा प्रकृतियों का उत्कृष्ट प्रदेश - उदीरणा स्वामित्व वेदनीयद्विक, अंतिम पांचसंहनन, वैक्रियसप्तक,
आहारकसप्तक, उद्योत का उत्कृष्ट प्रदेश- उदीरणा स्वामित्व आयुचतुष्क का उत्कृष्ट प्रदेश-उदीरणा स्वामित्व एकान्त तिर्यंचप्रायोग्य प्रकृतियों का उत्कृष्ट
प्रदेश - उदीरणा स्वामित्व
आनुपूर्वी चतुष्क, नरक - देवगति का उत्कृष्ट प्रदेशउदीरणा स्वामित्व
योगान्तक प्रकृतियों स्वर व श्वासोच्छवास का उत्कृष्ट प्रदेश - उदीरणा स्वामित्व
शेष प्रकृतियों का उत्कृष्ट प्रदेश - उदीरणा स्वामित्व समस्त उत्तर प्रकृतियों का जघन्य प्रदेश - उदीरणा स्वामित्व
६ उपशमनाकरण
उपशमनाकरण विचार के अर्थाधिकारों के नाम अनुयोगधर आकार्यों को नमस्कार उपशमना के भेद - प्रभेद
करणोपशमना के दो प्रकार
उपशमना योग्य कर्म और उसका अधिकारी उपशमना के लिये की जाने वाली प्रवृत्ति करणों में अध्यवसायों का परिमाण करणपरिणामों की स्थापना अपूर्वकरण में होने वाले कार्य स्थितिघात का स्पष्टीकरण रसघात का स्पष्टीकरण
स्थितिवंधाद्धा का आशय
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