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गाथा – ५१
२२३
गाथा - ५२
२२३
गाथा - ५३
२२४
२२५
गाथा - ५४, ५५ गाथा -५६,५७
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गाथा - ५८
२३०
गाथा - ५९
२३०
गाथा -६०
२३१
समचतुरस्र संस्थान आदि आठ प्रकृतियों की प्रत्यय प्ररूपणा सुभग, आदेय, यश कीर्ति, उच्च गोत्र की प्रत्यय प्ररूपणा, नव नोकषायों की प्रत्यय प्ररूपणा तीर्थंकर नाम, शेष घाति प्रकृतियों की प्रत्यय प्ररूपणा शेष प्रकृतियों की प्रत्यय प्ररूपणा मूल प्रकृतियों के अनुभाग-उदीरणा की साद्यादि प्ररूपणा उत्तर प्रकृतियों की अनुभाग उदीरणा की साद्यादि प्ररूपणा अन्तरायपंचकः चक्षु, अचक्षु दर्शनावरण की उत्कृष्ट अनुभाग-उदीरणा का स्वामित्व निद्रापंचक, नपुंसकवेदत्रिक, असातावेदनीय की उत्कृष्ट अनुभागउदीरणा का स्वामित्व पंचेन्द्रिय जाति आदि की उत्कृष्ट अनुभाग-उदीरणा का स्वामित्व सम्यक्त्व, मिश्र मोहनीय, हास्य रति की उत्कृष्ट अनुभाग-उदीरणा का स्वामित्व नरकगति आदि नौ प्रकृतियों का उत्कृष्ट अनुभागउदीरणा का स्वामित्व कर्कश, गुरू स्पर्श, अशुभ संहनन पंचक स्त्री पुरुष वेद, मध्य संस्थानचतुष्क, तिर्यंचगति का उत्कृष्ट अनुभाग-उदीरणा स्वामित्व मनुष्यगति, औदारिकसप्तक, वज्रऋषभनाराचसंहनन, आयुचतुष्क का उत्कृष्ट अनुभाग-उदीरणा स्वामित्व विकलेन्द्रिय जातियों और सूक्ष्म नाम का उत्कृष्ट अनुभाग-उदीरणा स्वामित्व समचतुरस्र संस्थान आदि प्रकृतियों का उत्कृष्ट अनुभाग-उदीरणा स्वामित्व
गाथा-६१
गाथा - ६२
.. २३२
गाथा -६३
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गाथा-६४
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गाथा - ६५
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गाथा - ६६
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