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गाथा ३७
गाथा ३८
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उदीरणास्वामित्व
विकलेन्द्रिय जातियों का जघन्य स्थिति - उदीरणास्वामित्व वेदनीयद्विक आदि अठारह प्रकृतियों का जघन्य स्थिति - उदीरणास्वामित्व
देवगतिद्विक, नरकगतिद्विक, वैक्रिय अंगोपांग प्रकृतियों का जघन्य स्थिति - उदीरणास्वामित्व
मिथ्यात्व, वेदत्रिक, संज्वलनकषायचतुष्क, सम्यक्त्व मोहनीय प्रकृतियों का जघन्य स्थिति - उदीरणास्वामित्व वैक्रियषट्क प्रकृतियों का जघन्य स्थिति
उदीरणास्वामित्व
आहारकद्विक प्रकृतियों का जघन्य स्थितिउदीरणास्वामित्व
ज्ञानावरण पंचक आदि चौदह प्रकृतियों का जघन्य स्थिति - उदीरणास्वामित्व
अनुभाग- उदीरणा के अर्थाधिकार
संज्ञा, शुभाशुभ और विधाक प्ररूपणा
सम्यक्त्व, मिश्र मोहनीय और अंतरायपंचक की नानात्व प्ररूपणा
नपुंसकवेद की नानात्व प्ररूपणा एवं स्पष्टीकरण गुरू और कर्कश स्पर्श, आनुपूर्वीचतुष्क एकान्त मनुष्य तिर्यंच प्रायोग्य तीस प्रकृतियों की नानात्प प्ररूपणा स्त्रीवेद पुरुषवेद चक्षु अचक्षु दर्शनावरण मति श्रुत अवधि ज्ञानावरण, अवधि दर्शनावरण की नानात्व प्ररूपणा मनः पर्यायज्ञानावरण और शेष प्रकृतियों की
नानात्व प्ररूपणा
वीर्यान्तराय आदि पेंतीस प्रकृतियों के विपाक में विशेषता चक्षुदर्शनावरण, अवधिदर्शनावरण के विपाक में विशेषता वैक्रियसप्तक आदि प्रकृतियों की प्रत्यय प्ररूपणा
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