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वर्धमानसूरिकृत आचारदिनकर में प्रतिपादित संस्कारों का तुलनात्मक एवं समीक्षात्मक अध्ययन
(२) नामकरण - संस्कार
(३) दन्तोद्गमन - संस्कार
(४) अन्नप्राशन- संस्कार
(५) चूड़ाकर्म - संस्कार
(६) उपनयन संस्कार (७) चार वेद व्रत - संस्कार
(८) गोदान - संस्कार
(६) समावर्तन-संस्कार
(१०) विवाह-संस्कार
(११) गर्भाधान-संस्कार
(१२) पुंसवन-संस्कार
(१३) सीमन्तोन्नयन - संस्कार ( १४ ) व्रतबन्ध - विसर्ग - संस्कार
(१५) उपाकर्म - संस्कार
(१६) उत्सर्जन संस्कार
(१७) समावर्तन - संस्कार
(१८) पाणिग्रहण-संस्कार
धर्मसूत्र
(२) गर्भाधान-संस्कार
(३) सीमन्त - संस्कार
(४) विष्णुबलि - संस्कार
(५) जातकर्म - संस्कार
(६) उत्थान - संस्कार
(७) नामकरण - संस्कार (८) अन्नप्राशन- संस्कार
(६) प्रवसागमन - संस्कार (१०) पिण्डवर्द्धन - संस्कार
(११) चौलक - संस्कार
(१२) उपनयन - संस्कार (१३) पारायण - संस्कार
सर्वप्रथम संस्कारों का उल्लेख गृह्यसूत्रों में हुआ और उसके बाद धर्मसूत्रों में, किन्तु गृह्यसूत्रों में जिस प्रकार का उनका स्वरूप प्रकट हुआ था, उससे कुछ हटकर ही उनका उल्लेख हमें धर्मसूत्रों में मिलता है। चूँकि उनका अधिकांश भाग परम्परागत विधि के विवरण ने ही घेर लिया है, अतः सभी धर्मसूत्रों में संस्कारों का वर्णन नहीं मिलता है और न ही उनमें उनका परिसंख्यन ही किया गया है, फिर भी हमें वहाँ कुछ संस्कारों के, यथा - उपनयन, विवाह, उपाकर्म, उत्सर्जन, आदि के सम्बन्ध में नियमों का उल्लेख मिलता है। गौतमधर्मसूत्र में हमें आठ आत्मगुणों के साथ निम्न चालीस संस्कारों का उल्लेख मिलता है.
(१) गर्भाधान-संस्कार
(१४) सहचारिणी-संयोग विवाह-संस्कार
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* देखेः धर्मशास्त्र का इतिहास ( प्रथम भाग ), पांडुरंग वामन काणे, अध्याय-६, पृ. १७७, उत्तरप्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ, तृतीय संस्करण १६८०.
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