________________
26
साध्वी मोक्षरत्ना श्री
पंचआहिक-यज्ञ, सात पाकयज्ञ, सात हविर्यज्ञ एवं सात सोमयज्ञ (यहाँ पंचआहिक यज्ञों को एक ही माना गया है, अतः कुल मिलाकर बाईस यज्ञ हुए) का भी उल्लेख है।
सामान्यतः, गृह्यसूत्रों में दैहिक-संस्कारों की चर्चा विवाह से आरम्भ की गई है तथा उसका समापन समावर्तन-संस्कार से किया गया है, किन्तु गृह्यसूत्रों में एक बात विशेष रूप से देखने को मिलती है, वह यह कि अधिकांश सूत्रों में अन्त्येष्टि-संस्कार का उल्लेख ही नहीं मिलता है। सम्भवतः, यह एक अशुभ कार्य है, अतः सूत्रकारों द्वारा इस अशुभ कार्य का उल्लेख शुभ कार्यों के साथ करना उचित नहीं समझा गया होगा। कुछ ही गृह्यसूत्र हैं, जिनमें हमें इस संस्कार का उल्लेख मिलता है, यथा : पाराशर-गृह्यसूत्र, आश्वलायन-गृह्यसूत्र, बौधायन-गृह्यसूत्र, आदि। विभिन्न गृह्यसूत्रों में वर्णित संस्कारों की संख्या ग्यारह मिलती है तथा सर्वाधिक संस्कारों की संख्या अठारह मिलती है। विविध सूचियों में संस्कारों के नामों में भी थोड़ा-बहुत अन्तर देखने को मिलता है, जो निम्नानुसार स्पष्ट हैआश्वलायनगृह्यसूत्र पारस्करगृह्यसूत्र बौधायनगृह्यसूत्र (१) विवाह-संस्कार (१) विवाह-संस्कार (१) विवाह-संस्कार (२) गर्भाधान-संस्कार (२) गर्भाधान-संस्कार (२) गर्भाधान-संस्कार (३) पुंसवन-संस्कार (३) पुंसवन-संस्कार (३) पुंसवन-संस्कार (४) सीमन्तोन्नयन-संस्कार (४) सीमन्तोन्नयन-संस्कार (४)सीमन्तोन्नयनसंस्कार (५) जातकर्म-संस्कार (५) जातकर्म-संस्कार (५) जातकर्म-संस्कार (६) नामकरण-संस्कार (६) नामकर्म-संस्कार (६) नामकरण-संस्कार (७) चूडाकर्म-संस्कार (७) निष्क्रमण-संस्कार (७) पनिष्क्रमण-संस्कार (८) अन्नप्राशन-संस्कार (८) अन्नप्राशन-संस्कार (८) अन्नप्राशन-संस्कार (E) उपनयन-संस्कार (६) चूड़ाकर्म-संस्कार (६) चूडाकर्म-संस्कार (१०) समावर्तन-संस्कार (१०) उपनयन-संस्कार (१०) कर्णवेध-संस्कार (११) अन्त्येष्टि-संस्कार (११) केशान्त-संस्कार (११) उपनयन-संस्कार (१२) समावर्तन-संस्कार (१२) समावर्तन-संस्कार (१३) अन्त्येष्टि-संस्कार (१३) पितृमेध-संस्कार वाराहगृह्यसूत्र
वैखानसगृह्यसूत्र (१) जातकर्म-संस्कार
(१) ऋतुसंगमन-संस्कार
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org