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|| श्री जैन दिवाकर-स्मृति-ग्रन्थ ।
जीवदया और सदाचार के अमर साक्ष्य : १५४ :
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॥श्री चतुर्भुजजी।।
॥श्री रामजी॥
नकल मोहर छाप ।
जैन सम्प्रदाय के प्रसिद्धवक्ता मनिश्री चौथमलजी महाराज का बदनोर
व्याख्यान संवत् १९८४ का वैशाख कृष्णा १४ को सुबह गोविन्द स्कूल
* व तीसरे पहर को व वैशाख कृष्णा अमावस्या को भी गोविन्द स्कूल बदनोर में श्रवण किया। बड़ी प्रसन्नता हई। श्रोताओं को भी पूर्ण लाम प्राप्त हआ । आप बड़े प्रभावशाली हैं । जहाँ कहीं आपका व्याख्यान होता है उसका जनता पर बड़ा असर होता है । यहाँ भी नीचे लिखे नियम किये जाते हैं
नीचे लिखी तिथियों पर यहाँ अगते रहेंगे
(१) पौष कृष्णा १० श्री पार्श्वनाथजी महाराज का जन्म दिवस के दिन चैत्र शुक्ला १३ श्रीमहावीर स्वामीजी के जन्म दिवस के दिन ।
(२) यहाँ चांदरास के केशर सागर तालाब में मच्छी की हिंसा कोई न करे, इसकी रोक की गई है। लिहाजा
हुक्म के अमल वास्ते तामिल शिरस्ते में दिया जावे और एक नकल इसकी मनिश्री चौथमलजी महाराज के भेंट की जावे । १६८४ का वैशाख कृष्णा अमावस्या, शुक्रवार ता० २० अप्रेल सन् १९२८ फक्त। ॥ श्री चतरभुज जी।
॥श्रीरामजी॥ साबत श्री जैन-सम्प्रदाय के प्रसिद्ध वक्ता पण्डित मुनिजी श्री चौथमलजी महाराज के व्याख्यान सूनने की अर्से से अभिलाषा थी कि आज मृगशिर शुक्ला १४ तदनुसार ता० ३०-११-३३ ई० को असीम कृपा फरमाकर नांदेसमा जागीर को पवित्र कर व्याख्यान फरमाया जो जीव-सुधार व दया पर था, जिसके सुनने से बड़ी दिलचस्पी हुई । नीचे लिखी प्रतिज्ञा की जाती है
(१) हिरण, खरगोश, नार, शूअर, मगर, बकरा. मेंढा के सिवाय किसी जानवर को मेरे हाथ से बध नहीं करूंगा।
(२) ग्यारस, अमावस, पूनम व श्रीमान् के पधारने व वापसी जाने के दिन अगता रहेगा।
(३) पौष विदी १० श्री पार्श्वनाथजी का जन्म व चैत्र सुदी १३ महावीर स्वामी का जन्म होने से अगता रहेगा।
(४) रामनवमी, जन्माष्टमी, कार्तिक, वैशाख, श्रावण, भादवा को अगता रहेगा। (५) महीने में चार दिन के सिवाय शराब काम में नहीं लूंगा।
(६) इसी तरह काकाजी जयसिंह ने भी अपने हाथ से किसी जानवर को वध नहीं करेंगे। अपने दिली चाह से परस्त्रीगमन भी नहीं करेंगे। ऐसा नियम लिया। सं० १९६० का मृगशिर सुदी १४ ता० ३०-११-३३ ई.
द० जयसिंह द० नारायणसिंह
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