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: ५८६ : उदार सहयोगियों की सूची
श्री जैन दिवाकर स्मृति-ग्रन्य
श्रीमान सेठ मदनलालजी चोरड़िया, मदनगंज
आपका जन्म वि० सं० १९८६ आसोज सुदि ५ को सेठ श्री स्व० नेमीचन्दजी चोरडिया के घर में हुआ । सुसंस्कारी परिवार में आपका पालन-पोषण हा तथा जीवन विशेष धर्मध्यान, समाजसेवा आदि कार्यों में लगा।
आपका कपड़े का अच्छा व्यवसाय है। साथ ही लघु उद्योगशाला के अधिकारी भी हैं। आप जिस प्रकार व्यापार में कुशल हैं, उसी प्रकार जीवन के अभ्युत्थान में भी सदा जागरूक व कुशल रहे हैं । नियमित धर्मध्यान करना, सामाजिक संस्थाओं को समय-समय पर उदारतापूर्वक सहयोग करना आपकी रुचि का कार्य है। ज्ञान दान, विद्या दान और औषध दान करने में आपको अधिक प्रसन्नता रहती है। साधु-सन्तों की सेवा में आप हर समय तत्पर रहते हैं । आपकी धर्मपत्नी श्रीमती मोहनकंवर बाई भी आपकी भांति धर्मशीला संस्कारी महिला हैं। श्री जैन दिवाकर स्मतिग्रन्थ में आपने अच्छा सहयोग दिया है।
स्व० श्रीमान माणकचन्दजी तातेड़, दिल्ली आप श्रीमान ला• कल्लूमल जी तातेड़ के पुत्र थे। आप स्वभाव से बड़े ही धार्मिक, उदार और व्यापार में नीति निष्ठ थे। आपकी धर्मपत्नी श्री शरबतीदेवी भी आपकी तरह ही धर्मशीला और साधु-सन्तों की सेवा करने में माता की तरह थीं। धर्म साधना करना, दान देना, संतों की सेवा करना और सामि भाइयों का वात्सल्य करना-इनमें आपको बड़ा आनन्द आता था ।
श्री जैन दिवाकरजी महाराज के सशिष्य कवि श्री वंशीलालजी महाराज जब देहली में अस्वस्थ थे तब आपने बड़ी श्रद्धा और विवेक के साथ सेवा का लाभ लिया था ।
स्व० श्री माणकचन्दजी के तीन सपुत्र हैं-१. फूलचन्दजी, २. श्री कमलचन्दजी, ३. श्री ज्ञानचन्दजी। आपकी पुत्रियां हैं सौ० पदमा, सौ० विमला। सभी की धर्मभावना बड़ी सराहनीय है। सभी का परिवार धार्मिक संस्कारों वाला सुखी तथा सुसंस्कारी है।
श्री ज्ञानचन्दजी बहुत ही उदार हृदय, सेवा-मावी तथा उत्साही युवक हैं । श्री माणकचन्दजी के समय से ही आपका गोटे का व्यवसाय चला आ रहा है, पुत्रों ने इस व्यवसाय में चार चाँद लगाये हैं।
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