Book Title: Jain Divakar Smruti Granth
Author(s): Kevalmuni
Publisher: Jain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar

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Page 671
________________ | श्री जैन दिवाकर-स्मृति-ग्रन्थ ।। उदार सहयोगियों की सूची : ६०० : श्रीमती बसन्तीदेवी नाहर, दिल्ली आप स्व० श्री मंगलचन्द जी नाहर की धर्मपत्नी है। स्वभाव से बड़ी शांत और धार्मिक है। स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहते हुए भी तपस्या तथा धर्मध्यान में अच्छी रुचि रखती है। अठाई तक तपस्या भी कर चुकी है। आपके तीन सुपुत्र है-श्री पूनमचा जी, श्री प्रीतमचन्द जी और श्री पदमचन्द जी। तीनों ही अच्छे स्वभाव के सामाजिक भावना वाले हैं। जवाहरात का व्यवसाय करते हैं तथा समाज सेवा में सदा हाथ बंटाते है। श्री जैन दिवाकर स्मृतिग्रन्थ प्रकाशन में आपने अपने स्वर्गीय पति श्री मंगलचन्द जी की पुण्य स्मृति में सहयोग प्रदान किया है । श्री कस्तूरचन्द जी लोढा, दिल्ली आप बड़े ही उदार हृदय, समाज सेवी प्रतिष्ठित जौहरी हैं। समाज के कार्यों में सदा दिल खोलकर सहयोग देते हैं। आपके सुपुत्र श्री रघुवीर सिंह जी लोढा है, जो स्वयं भी जवाहरात का व्यवसाय करते हैं तथा उदार हृदय है। राम और श्याम आपके दो पौत्र हैं, दोनों ही बड़े होनहार और प्रतिभाशाली है। श्री कस्तूरचन्द जी की दो सुपुत्रियां हैं, जो बड़ी धर्मशीला हैं। स्व० पिताश्री चुनीलाल जी लोढा की स्मृति में आपने सहयोग प्रदान किया है। स्व० श्रीमती धनवती देवी लोढा. दिल्ली आप श्रीमान कस्तुरचन्द जी लोढा की धर्मपत्नी थी। स्वभाव से बड़ी मधुर, विनम्र, समझदार और धर्मपरायण ! तपस्या में विशेष रुचि थी। १ से १ लेकर तक तपस्याएं की थीं। दो बार वर्षी तप भी किया। आपके सुपुत्र श्री रघुवीरसिंह जी लोढा एक अच्छे उदार सज्जन है। सदा हँसमुख, मिलनसार और हर काम में उत्साही हैं। आप जवाहरात का व्यापार करते हैं। आपकी धर्मपत्नी सौ० प्रेमवती जैन भी बड़ी धार्मिक भावना वाली हैं। माता जी की रुग्णावस्था में श्री रघुवीरसिंह जी तथा सौ. प्रेमवती जी ने बहुत ही सेवा की तथा धार्मिक सहयोग दिया। स्मृतिग्रन्थ प्रकाशन में आपने अच्छा सहयोग प्रदान किया है। स्व. श्री पन्नालालजी घोड़ावत (दिल्ली) को स्मति में _स्व. श्री हजारीलाल जी घोडावत के सुपुत्र श्रीमान (स्व०) पन्नालाल जी घोड़ावत एक कर्मठ समाज सेवी तथा धर्मप्रेमी सज्जन थे। स्वभाव से बड़े सरल तथा शांतिप्रिय थे । आपकी धर्मपत्नी श्रीमती कुन्दनदेवी जी भी आपकी तरह ही बड़ी धार्मिक, सरलमना और विनम्र स्वभाव की हैं । आपने अठाई तक तपस्या भी की है। आपके सुपुत्र श्री रूपचन्दजी घोडावत भी पिताजी की तरह ही समाज-सेवा की भावना रखते हैं, धार्मिक कार्यों में उत्साही हैं। तथा आपके दो पौत्र हैं श्री विमलचन्द जी एवं श्री कमल चन्द जी । श्री कमलचन्द जी कर्मठ कार्यकर्ता हैं । सामाजिक तथा धार्मिक समारोहों में बड़ी दिलचस्पी लेते हैं और समय-समय पर सहयोग भी करते हैं। श्रीमती कुन्दनदेवीजी ने स्वर्गीय श्री पन्नालाल जी की स्मृति में प्रकाशन-सहयोग किया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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