Book Title: Jain Divakar Smruti Granth
Author(s): Kevalmuni
Publisher: Jain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar

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Page 675
________________ श्री जैन दिवाकर-स्मृति-ग्रन्य। उदार सहयोगियों की सूची : ६०२: स्व० श्रीमती धनवती देवी, छजलानी, दिल्ली आप श्रीमान पन्नालाल जी छजलानी की धर्मपत्नी थीं। धार्मिक भावना के साथ ही तपस्या में अधिक रुचि थी। अठाई व ११ तक की तपस्याएं कीं। स्व० श्रीमती धनवती जी के पिता श्री चम्पालालजी चौरडिया भी बहत धर्मप्रेमी थे। __श्रीमान पन्नालाल जी स्वयं भी अनेक समाजसेवी तथा धार्मिक संस्थाओं से सम्बद्ध है। बड़े उत्साही और कर्मठ समाज सेवी है। आपके सुपुत्र श्री तुमुल कुमार जी भी बड़े समझदार तथा धर्मप्रेमी युवक है। श्रीमान शेरमलजी जैन, सिकन्दराबाद आंध्रप्रदेश की राजधानी सिकन्दराबाद का स्थानकवासी जैन समाज धार्मिक तथा सामाजिक कार्यों में सदा प्रगतिशील रहा है। वहाँ के श्वे० स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के उपाध्यक्ष हैं. श्रीमान शेरमल जी....."। आप बड़े ही मिलनसार और हँसमुख हैं । आपका हृदय उदार तथा धार्मिक श्रद्धा से परिपूर्ण है। ___आपका सर्राफा (सोना-चाँदी) का अच्छा व्यवसाय है तथा आंध्रप्रदेश पान ब्रोकर्स ऐसोसियेशन के आप अध्यक्ष हैं। अनेक धार्मिक तथा सामाजिक उत्तरदायित्वों को सम्भाले हुये हैं। श्रीमान हेमचन्द जी संखवाल, दिल्ली श्री स्थानकवासी जैन समाज (चांदनीचौक देहली) के जाने-माने श्रावक सेठ स्व. श्री जगन्नाथ जी संखवाल के सपत्र है-श्रीमान हेमचन्द जी संखवाल । आप भी स्व० पिताजी की तरह समाज-सेवा, धर्म-प्रभावना आदि में उत्साह पूर्वक भाग लेते हैं। और उदारता पूर्वक दान देते हैं । आपका जवाहरात का बहुत अच्छा व्यवसाय है। आपकी धर्मपत्नी सौ० श्रीमती रत्नप्रभा जी भी बड़ी समझदार उदार हृदया और धर्मशीला श्राविका है। आपका भवन, महावीर जैन भवन (चांदनी चौक) के सबसे निकट होने से साधु-सतियों की सेवा तथा सुपात्र दान का सर्वाधिक लाभ भी आपको मिलता रहता है। आप बड़ी श्रद्धा और विवेकपूर्वक सेवा करती रहती हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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