Book Title: Jain Divakar Smruti Granth
Author(s): Kevalmuni
Publisher: Jain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar

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Page 658
________________ : ५६१ : उदार सहयोगियों की सूची मिस्रीमलजी धनराजजी विनायकिया, ब्यावर दान अगर प्रसन्नतापूर्वक निरभिमान वृत्ति से दिया जाता है तो वह दान विशिष्ट दान कहलाता है । श्री धनराज जी विनायकिया एक ऐसे ही दानशील वृत्ति के सज्जन हैं । जब श्री जैन दिवाकर स्मृतिग्रन्थ प्रकाशन की चर्चा चली तो आपने अपनी इच्छा से बिना किसी प्रेरणा के सर्वप्रथम अपने उदार सहयोग की घोषणा कर दी और कहा कि स्व० श्री जैन दिवाकर जी महाराज के असीम उपकारों से वर्तमान समाज को अवगत कराने का यह प्रयत्न अत्यन्त आवश्यक है । आप सदा ही धर्म एवं समाजोपयोगी कार्यों में विनम्रभाव पूर्वक सहयोग करते रहते हैं । दान देकर यश भावना भी नहीं रखते वे नाम व चित्र छपाने में भी संकोच करते हैं । श्री जैन दिवाकर स्मृति- ग्रन्थ आपका मद्रास तथा ब्यावर में 'मिसरीमल धनराज विनायकिया' -- इसी नाम से अच्छा व्यवसाय है । व्यवसाय में अच्छी प्रतिष्ठा है। आपके परिवार में भी धार्मिक भावना अच्छी है । श्री जैन दिवाकर जी महाराज के प्रति आपका पूरा परिवार भक्ति व श्रद्धा रखता है । ** धर्मप्रेमी छल्लाणी परिवार, ब्यावर ब्यावर निवासी छल्लाणी परिवार स्थानीय समाज में प्रत्येक कार्य में अग्रणी और कार्यशील रहता है । श्रीमान प्रेमराज जी, मोतीलाल जी, पूनमचन्द जी और नौरतनमल जी ये चारों भाई तथा आपका परिवार स्व० श्री जैन दिवाकर जी महाराज के प्रति गहरी श्रद्धाभावना रखता है । आपकी माताजी भी अत्यन्त श्रद्धाशील, धर्मपरायण तथा उदार स्वभाव की हैं। माता के संस्कार सन्तान में आते ही हैं, आप चारों भाइयों में परस्पर प्रेम तथा सहयोग की भावना है और व्यापार तथा सामाजिक कार्यों में एक-दूसरे के परामर्श तथा विचारों का मान रखते हैं । ब्यावर के महावीर बाजार में आपके व्यवसाय की अच्छी धाक है। प्रेम, नीतिमत्ता एवं प्रामाणिकता के सहारे आपके में बहुत प्रगति तथा उन्नति की है । व्यवसाय Jain Education International श्री जैन दिवाकर स्मृतिग्रन्थ के प्रकाशन में छल्लाणी परिवार ने अच्छा सहयोग किया है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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