Book Title: Jain Divakar Smruti Granth
Author(s): Kevalmuni
Publisher: Jain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar

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Page 655
________________ श्री जैन दिवाकर स्मृति-ग्रन्थ || उदार सहयोगियों की सूची : ५६० : दिनेशकुमार चन्द्रकान्त बैंकर, हैदराबाद श्री दिनेशभाई चन्द्रकांत बैंकर हैदराबाद स्थानकवासी जैन समाज के प्रमुख उत्साही कार्यकता व युवावर्ग के आदर्श प्रेरणा केन्द्र है। अभी ३५ वर्ष की आयु में भी आपको धार्मिक व सामाजिक कार्यों में विशेष अभिरुचि है। स्थानीय समाज के प्रत्येक कार्य में आपका सहयोग मिलता रहता है । समाज के सत्साहित्य प्रचार में आपको विशेष दिलचस्पी है। समय-समय पर साहित्य प्रकाशन में आपका उदार सहयोग मिलता रहता है। आपका हैदराबाद में अच्छा स्टील व्यवसाय है। भारत स्टील इण्डस्ट्रीज हैदराबाद के आप पार्टनर है। आपके पिता श्री चन्द्रकांत भाई भी बड़ी सात्विक वृत्ति वाले धर्मप्रेमी उदार श्रावक है। व्यापार एवं धर्म दोनों क्षेत्रों में ही आप यशस्वी है। प्रस्तुत स्मृति ग्रन्थ प्रकाशन में आपने अच्छा सहयोग प्रदान किया है। स्व० श्री मिश्रीलालजी लोढा, देहली आप श्रीमान स्व० श्री मोतीलालजी लोढा के सुपुत्र थे। आपको धार्मिक संस्कार तथा समाजसेवा की भावना पैतृक विरासत में मिली थी। त्यागी साधु सतियों की सेवा तथा दीनदुखियों की सहायता में आप सदा अग्रणी रहते थे। चांदनी चौक बारादरी ट्रस्ट के संस्थापकों में से आप एक थे। आपकी धर्मपत्नी स्व. श्रीमती लक्ष्मीबाई जी भी बड़ी धार्मिक विचार वाली धर्मशीला श्राविका थी। आपके सुपुत्र श्री हजारीलालजी एवं श्री केसरीचन्दजी दोनों ही बड़े धर्मप्रेमी तथा जवाहरात व्यापार में सुदक्ष सुप्रसिद्ध हैं। समाज-सेवा में दोनों ही अग्रणी रहते हैं। आपकी तीन सुपुत्रियां---श्रीमती मीनादेवीजी, श्रीमती धन्नोदेवीजी तथा सत्यवतीजी भी आपकी भाँति ही धर्मानुरागिणी हैं। श्रीमती मीनादेवीजी (बडेर) ने अभी सितम्बर (१९७८) में मासखमण तप किया है। ___ श्रीमान हजारीलालजी एवं श्री केसरीचन्दजी ने पूज्य पिताजी की स्मृति एवं बहन मीनादेवी जी के मासखमण तपोपलक्ष्य में स्मृतिग्रन्थ प्रकाशन में सहयोग दिया है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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