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जगतवल्लभ जैनदिवाकर प्रसिद्धवक्ता श्री चौथमलजी म० के शिष्य-प्रशिष्य
स्वा० श्री इन्दरमल त० श्री मोहनलाल
जी म०
श्री हुक्मीचन्दजी म० श्री कजोड़ी
(बड़ा) मलजी म० पं० श्री शंकर- श्री किशन
लालजी म. लालजी म०
श्री भैरुलालजी म० श्री रतन
लालजी म. श्री नन्दलाल- श्री हुक्मीचन्दजी जी म०म० (छोटा)
जी म०
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उपाध्याय श्री प्यार- कविश्री चम्पालालजी म०
कविश्री केवल- तपस्वी श्री विजयराजजी म० त० श्री बसन्तीचन्दजी म०
चन्दजी म०
लालजी म० श्री सागरमलजी म०
श्री ताराचन्दजी म० । प्रवर्तक श्री वृद्धिचन्दजी म०, सेवाभावी श्री सन्तोषचन्दजी म० प्र वर्तक श्री मगनलालजी म० तपस्वी श्री नेमीचन्दजी म०
श्री दिनेश मुनिजी म० । । तपस्वी मंगलचन्दजी म०
तपस्वी श्री गौरीलालजी म. तपस्वी श्री विमल
तपस्वी सागर- अवधानी श्री अशोक । मुनिजी म० पं ० श्री भगवती मुनिजी म० मलजी म० मुनिजी म०
तपस्वी श्री मेघ सेवाभावी श्री सुदर्शन श्री वीरेन्द्र मुनिजी म०
राजजी म०
मुनिजी म. मधुरवक्ता श्री मूलचन्दजी म०
व्याख्यानी श्री ऋषभ मुनिजी म०
मधुर गायक श्री प्रमोद मुनिजी म०
पं० श्री वर्द्धमान जी म०, श्री मन्नालालजी, म० त० श्री वक्तावरमलजी म०, श्रीगणेश मुनिजी म०, तपस्वी श्री पन्नालालजी म०, पं० श्री उदय मुनिजी म०
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