Book Title: Jain Divakar Smruti Granth
Author(s): Kevalmuni
Publisher: Jain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar

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Page 648
________________ : ५८५ : उदार सहयोगियों की सूची | श्री जैन दिवाकर-स्मृति-वान्थ सेठ कालूसिंह जी मुणोत, ब्यावर श्रीमान् सेठ कालूसिंहजी मुणोत ब्यावर के प्रमुख सर्राफों में से एक है। आपका परिवार मूलत: किशनगढ़ का निवासी है। आप सं० १९८४ में ब्यावर आये और यहाँ अपना सर्राफा का व्यवसाय बढ़ाया। आपके तीन पुत्र श्री केशरसिंहजी, श्री समेरसिंहजी, श्री चाँदसिंहजी हैं और पुत्री सुश्री प्रह्लाद कंवर जिनका विवाह पाली हुआ है। आपश्री ने समय-समय पर समाज-सेवा में भी धन का सदुपयोग किया है। रूपनगढ़ स्थानक के निर्माण के लिए आपने आर्थिक सहयोग प्रदान किया। प्रसिद्ध वक्ता श्री जैन दिवाकर जी महाराज साहब के शताब्दि वर्ष के अवसर पर स्थापित अस्पताल के लिये एवं छात्रावास के लिये भी सहायता प्रदान की। श्री दिवाकर जैन लायब्ररी भवन में भी अपनी पूजनीया मातु श्री की स्मृति में एक कमरे का निर्माण करवाया है। सेठ कचरमल जी चौपड़ा, जावद जावद (जि० मंदसौर) एक अच्छा कस्बा है। यहाँ अनेक धर्मप्रेमी समाजसेवी सज्जन निवास करते हैं । श्रीमान् सेठ कचरमल जी चौपड़ा यहाँ के अच्छे प्रतिष्ठित श्रावक तथा प्रमुख नागरिक हैं। आप स्व० सेठ मगनमलजी चौपड़ा के सुपुत्र हैं। आपका परिवार सदा से समाज एवं राजकीय कार्यों में अग्रणी रहा है। श्री चोपड़ा जी स्वयं भी मंडी कमेटी, म्युनिसिपल कमेटी के अध्यक्ष तथा आनरेरी मजिस्ट्रेट आदि पदों पर रहकर सेवा कार्य करते रहे हैं। आप स्व० गुरुदेव श्री जैन दिवाकर जी महाराज के प्रति अत्यन्त श्रद्धा और भक्तिभावना रखते आये हैं । उनके प्रेरक प्रवचनों से आपके जीवन में धर्म श्रद्धा विशेष सुदृढ़ हुई। आप कई भाई-बन्धुओं का बड़ा परिवार है। धर्म-ध्यान तथा सामायिक आदि कार्यों में आपकी विशेष रुचि है । सामाजिक सेवा कार्यों में सहयोग भी करते रहते हैं। आपका अनाज का व्यवसाय है। श्री जैन दिवाकर स्मृतिग्रन्थ में आपने अच्छा सहयोग प्रदान किया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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