Book Title: Jain Divakar Smruti Granth
Author(s): Kevalmuni
Publisher: Jain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar

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Page 638
________________ श्री जैन दिवाकर स्मृतिग्रन्थ में प्रमुख उदार सहयोगी : सचित्र परिचय श्रीमान रतनचन्दजी रांका, कडपा (आं० प्र०) आपका जन्म १५ अक्टूवर १६३८ को बाड़मेर (राजस्थान) के अन्तर्गत राखी ग्राम में स्व० श्रीमान जसराज जी रांका के घर पर माताजी श्रीमती वरजूबाई की कुक्षि से हुआ। आपके माता-पिता दोनों ही अत्यंत धर्मपरायण, सुसंस्कार सम्पन्न सद्गृहस्थ थे। आपको धार्मिक संस्कार बचपन से ही विरासत में मिले । धार्मिक कार्यों की तरफ आपकी प्रवृत्ति प्रारम्भ से ही रही है। प्रारम्भिक शिक्षा के पश्चात् १२ वर्ष की अल्पायु में आप व्यवसाय के लिए कलकत्ता गये । पश्चात् सन् १९६० से आं. प्र. के कडपा शहर में आंध्रा इंडस्ट्रियल वर्क्स की स्थापना से आपने औद्योगिक क्षेत्र में पदार्पण किया, जिससे १६७३ तक आप सम्बन्धित रहे । सन् १९६४ में रांका केबल कार्पोरेशन की स्थापना की जो सन् १९७५ में एक प्राइवेट लिमिटेड कम्पनो के रूप में परिवर्तित हो गई। यह संस्थान कण्डक्टर व्यवसाय में देश-विदेश में अपनी अच्छी प्रतिष्ठा रखता है। बम्बई में रांका मेटल वर्क्स तथा अहमदाबाद में रांका टेक्स टाइल्स के नाम से आपकी दो फमें हैं। व्यावसायिक प्रगति के साथ-साथ आप सामाजिक तथा धार्मिक प्रवृत्तियों में भी सदा अग्रणी रहे हैं । आप अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष व सक्रिय सदस्य हैं। • वर्तमान में निम्न संस्थाओं से आप सम्बन्धित हैं• भगवान महावीर जनरल अस्पताल व रिसर्च सेंटर (सुमेरपुर) -चेयरमेन • भगवान महावीर पोस्ट ग्रेज्युएट सेंटर श्री वेंकटेश्वरा युनिवर्सिटी, एडवाइजरी कमेटी -सदस्य। ० कडपा डिस्ट्रिक्ट जनरल अस्पताल एडवाइजरी कमेटी-सदस्य । ० कडपा चेम्बर आप कामर्स व इण्डस्ट्रीज---सदस्य • आपने अभी हाल ही में विभिन्न २३ देशों की यात्रा की है। जिनमें कनाडा, अमेरिका, जापान, जर्मनी, हालैण्ड, फ्रांस, ताइवान, स्वीट्जरलैण्ड आदि प्रमुख हैं। आप धार्मिक तथा सामाजिक कार्यों में बड़ी उदारता पूर्वक समय-समय पर सहयोग करते रहते हैं । साहित्य प्रकाशन में आपका विशेष सहयोग अनेक संस्थाओं को मिलता रहा है। भविष्य में आपके उदार सहयोग का हाथ सदा प्रवर्धमान रहे । श्री जैन दिवाकर स्मृतिग्रन्थ में आपने मुक्त हृदय से सहयोग प्रदान किया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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