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: १५७ : ऐतिहासिक दस्तावेज
| श्री जैन दिवाकर-स्मृति-ग्रन्थ
नकल रूबकार इजलास खास राज्य इन्द्रगढ़ वाकै २३-१-३६ मोहर छाप
(सही अंग्रेजी में)
कामदार इन्द्रगढ़ इन्द्रगढ़
आज मुनि श्री चौथमलजी का उपदेश कोठी खास पर हमारे सामने हुआ। उसके उपलक्ष में मुनि महाराज की इच्छानुसार साल में दो तिथियों पौष बुदी १० व चैत्र सुदी १३ पर राज्य इन्द्रगढ़ में अगता यानी पशु-वध न किया जाना स्वीकार किया जाता है
हुक्म हुआ पुलिस निजामत व तहसील बारह गाँव को इत्तला दी जावे कि इस हुक्म की पाबन्दी होती रहनी चाहिए। एक नकल इसकी मुनि महाराज को दी जावे। कागज दर्ज रजिस्टर मतफरकात माल होकर दाखिल दफ्तर हो।
(सही अंग्रेजी में) _ [ आवाराज ] श्री हुजूर की आज्ञानुसार आपको विनम्र सूचना दी जाती है कि आपकी इच्छानुसार चैत्र सुदी १३ को जहाँ तक श्रीमान् आवागढ़ नरेश का प्रभाव चल सकेगा जीवहिंसा रोकने की चेष्टा की जायगी। श्री स्वामी श्री चौथमलजी को विदित हो कि हमारा राज्य जमींदारी है । और हमको कानून बनाने का अधिकार प्राप्त नहीं है। इसलिए हुक्मन यह आज्ञा जारी नहीं की जा सकती। केवल प्रभाव से ही काम लिया जाना सम्भव है । ता० १-३-३७ ई०
॥ श्री ॥
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नम्बर १३ मोहर छाप
ता० २८-३-३५ भाटखेड़ी
जैन सम्प्रदाय के जगतवल्लम जैन दिवाकर सप्रसिद्ध वक्ता पण्डित प्रवर मुनि श्री १००८ श्री चौथमलजी महाराज के दर्शनों की मेरे दिल में बहुत अभिलाषा थी । सौभाग्य से महाराज श्री का भाटखेड़ी में तारीख २६-३-३५ को पदार्पण हुआ और कचहरी में आपके दो दिन प्रभावशाली व्याख्यान हए। उपदेशामृत सुनकर चित्त बड़ा ही प्रसन्न हुआ। इसलिये मैं महाराज श्री के भेंट स्वरूप नीचे लिखी प्रतिज्ञाओं के विषय में यह प्रतिज्ञापत्र सादर नजर करता है। इन प्रतिज्ञाओं का पूरी तौर से पालन सदैव होता रहेगा
(१) इस ग्राम में पहिले से पर्दूषण पर्व व जन्माष्टम्यादि के धार्मिक अगते पाले जाते हैं उसी मुजब सदैव पाले जावेंगे।
(२) चैत्र शुक्ला १३ श्री महावीर स्वामी का व पौष कृष्णा १० श्री पार्श्वनाथजी का जन्म दिन होने से ये दो अगते भी अब आयन्दा सदैव पाले जावेंगे। सदर प्रमाणे सदैव अमल रहेगा। शुभ मिती चैत्र कृष्णा ८ सं० १९६१ वि०
रावत विजयसिंह
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