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जीवदया और सदाचार के अमर साक्ष्य : १७२ :
कुंवर साहेब ने मुनिश्री का उपदेश श्रवण कर बड़ी प्रसन्नता प्रकट की और भेंट स्वरूप में एक जीव दया का पट्टा कर देने का अभिवचन दिया ।
वहाँ से जैन दिवाकरजी बूसी (मारवाड़) पधारे । ठाकुर साहेब ने उपदेश श्रवण का लाभ लिया और जीव दया का एक पट्टा कर देने का अभिवचन दिया।
वहाँ से मुनिश्री विहार कर संवत् १६६८ के चैत्र शुक्ला में बगड़ी सज्जनपुर (मारवाड़) पधारे। वहाँ के जागीरदार कुंवर साहेब ने दो बार उपदेश श्रवण का लाभ लिया और उस उपदेश से बहुत प्रसन्न हुए भेंट स्वरूप में एक जीव दया का पढ़ा किया। ॥ श्री॥ ॥श्री परमेश्वरजी सहाय छ ।
॥श्री मुकंद जी॥ मोहर छाप ।
श्री जैन दिवाकर प्रसिद्धवक्ता मुनिश्री चौथमलजी महाआहोर (मारवाड) राज का चौमासा सम्वत् हाल में जोधपुर में हआ और मैंने व्या
maniinni ख्यान और धर्मोपदेश सुनकर नीचे मुआफिक प्रतिज्ञा की है(१) हर साल के पौष सुदि १० को पारसनाथ भगवान की जयन्ति । (२) हर साल चैत्र सुदि १३ को भगवान महावीर स्वामी की जयन्ति । (३) पजुसन के आठ दिन तक । (४) आपका आगमन और विहार आहोर पधारना होगा उस समय ।
उपर मुजब मितियों में अगता आहोर खास व मेरे पट्ट के कुल गाँवों में रखा जावेगा। सं० १९९८ रा चैत्र वदि ७
Sd. Rawat Singh ☆ ॥ श्री ॥श्री चार भुजाजी।। मोहर छाप
ठि. श्री बगड़ी टीकायत जोधपुर स्टेट स्वरूप श्री ठाकुरा ठि० बगड़ी (मारव
साहेब श्री भैरूसिंहजी साहब कुंवर श्री सज्जनसिंहजी साहब वचना+r.mammmmmm यत जन स्वामी श्री १०८ श्री चौथमलजी महाराज का आगमन बगड़ी में सं० १९६८ चैत सुदि १२ को हुआ और मैंने भी व्याख्यान व धर्मोपदेश सुना जिससे खुश होकर नीचे मुजब प्रतिज्ञा की है।
(१). श्रावण मास में किसी जानवर की शिकार नहीं करूगा और मेरे पट्टे के गाँव में इस मास में कोई शिकार नहीं कर सकेगा।
(२) पौष वदि १० को श्री पार्श्वनाथ भगवान का जन्म दिवस होने से हमारे पट्टे के गाँव में कोई जीव हिंसा नहीं होगी।
(३) चैत सुदि १३ को श्री महावीर का जन्म दिवस होने से हमारे पट्टे के गाँव में कोई जीव हिंसा नहीं होगी।
(४) भादवा वदि ८ जन्माष्टमी को हमारे पट्टे के गांवों में कोई जीव हिंसा नहीं होगी। (५) भादवा सुदि १४ अनन्त चतुर्दशी का अगता पाला जावेगा।
(६) श्री पूज्य स्वामीजी श्री चौथमलजी महाराज का पट्टे के गांवों में आगमन व विहार होगा तब पट्टे के गाँवों में अगता पलाया जावेगा।
(७) पजूषणों में मेरे पट्टे के गाँवों में शिकार वगैरा व घाणी चलाना बिल्कुल बन्द रहेगा व कसाई अपना पेशा नहीं करेगा। उपरोक्त प्रतिज्ञा का सदैव के लिये पालन किया जावेगा। सम्वत् १९६८ मिति चैत सुदि १३
दः बारठ शोलराज श्री कुंवर साहबरा हक्म सं
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