Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 03
Author(s): Kanahaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अमगारधर्मामृतवर्षिणी ठोका अ० १६ द्रौपदोवरितनिरूपणम्
४३३
संकेत विवसंदसिए य दर्पण संक्रान्तविम्ब संदर्शितान् = दर्पणे संक्रान्तानि यानि राज्ञां विम्बानि-प्रतिविम्बानि, तैः संदर्शिताः = प्रतिबोधितास्तांश्च प्रवरराजसिंहान् सिंहसदृशान् श्रेष्टनृपान् दक्षिणेन हस्तेन ' से ' तस्याः द्रौपद्याः ' दरिसए ' दर्शयति इह कर्मणः सम्बन्धमात्र विवक्षायां षष्ठी । तथा - ' फुडविसय विसुद्ध-रिभियगंभीर महुरभणिया स्फुटविशद विशुद्धरिभितगम्भीरमधुर भणिता= अर्थतः
,
कुल
हत्येणं दरिसए पवररायसी हे फुडविसय विसुद्ध रिभियगंभीर महुरभणिया सा तेसि सव्वेसिं पत्थिवाणं अम्मापिऊणं वंससत्तसामत्थगोतविक्कतिकतिबहुविहआगम महपरूवजोव्वणगुणलावणं जाणिया कित्तणं करेइ ) इसके बाद उस क्रीडन धाय ने अपने हाथ में एक चमकता हुआ दर्पण लिया। यहां दर्पण के इन और विशेषणों का यावत् शब्द से ग्रहण हुआ है वे विशेषण ये हैं 'सामावियघंसं चोहणस्स उस्सुकरं विचित्तमणिरयणकद्वछरुहं " इनका अर्थ इस प्रकार है - यह दर्पण स्वभावतः चिकना था । तथा तरुणजनों के चित्त में अपने को देखने की अभिलाषा का जनक था । मुष्टि से पकड़ने का जो इसका स्थान था वह विचित्र मणि - रत्नों से निर्मित था । उस दर्पण में जिन २ सिंह जैसे शूरवीर राजाओं के उस समय प्रतिबिम्ब पड़े हुए थे उन प्रतिविम्बों को लेकर उस धायने उन श्रेष्ठ राजाओं को उस द्रौपदी के लिये अपने दक्षिण हाथ से बतलाया ! बतलाते समय उन्हें दिखाते समय वह पात्री विलकुल अर्थ की अपेक्षा स्फुट एवं वर्ण रायसी फुडविसयविसुद्ध रिभियगंभीरमहुरभणिया सा तेर्सि सव्वेसिं पस्थिवाणं अम्मापिऊणं वंससत्तसा तत्यगोत्तरिक्कंति के तिबहुविहआगम महापरूबजोरण गुणलावणं कुलजाणिया कित्तणं करे३ )
ત્યારપછી તે ક્રીડનધાત્રીએ પેાતાના હાથમાં એક ચમકતા અરીસા લીધે, અહીં ‘ અરીસા ? માટે ય વત્ શબ્દથી નીચે લખ્યા મુજબ વિશેષણાનું પણ ગ્રહણુ સમજવું જોઇ એ. ( सामोविययसं चोदहजणस्स उम्सुयकरं विचित्तं मणिरयणबद्धछह हं ) मा विशेषणानुं स्पष्टी४२ या प्रमाणे छे-ते भरीसेो સ્વાભાવિક રીતે લીસેા હતેા, તેમજ તરુણ સ્ત્રીએના ચિત્તમાં તેને જોવાની સહજ ભાવે ઈચ્છા જાગ્રત થાય તેવા હતેા. તે અરીસાને હાથે વિચિત્ર મણીરત્નથી જડેલા હતા. તે અરીસામાં સિંહ જેવા શુરવીર જે જે રાજાએ દેખાયા તે ધાત્રીએ તે રાજાઓને પેાતાના જમણા હાથથી સકેત કરીને મતાવ્યા. અતાવતી વખતે અને સમજાવતી વખતે તે ધાય અર્થની અપેક્ષાથી
शा ५५
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