Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 03
Author(s): Kanahaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 836
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir arrrrधर्मामृतवर्षिणी टी० २ व. २ शुभनिशुंभदिदेवीवर्णनम् ८१७ खल हे जम्बूः ! तस्मिन् काले तस्मिन् समये राजगृहं नगरम् । गुणशिल चैत्यम् । स्वामी = वर्द्धमानस्वामी सनवसृतः । परिषन्निर्गता यावत्पर्युपास्ते । तस्मिन काले तस्मिन् समये शुम्बा देवी बलिचञ्चायां राजधान्यां शुम्भावतंस के भवने शुम्भे सिंहासने 'कालीगमरणं' कालीगमेन = काली देवी सदृशपाठेन यावत्नाटय विधिमुपद यावत् प्रतिगता 'पुत्रभवपुच्छा' पूर्वभवपृच्छा=गौतमस्वामी शुम्भा देव्याः पूर्व पृच्छति । भगवान् कथयति - श्रावस्ती नगरी । कोष्ठकं चैत्यम् | जितशत्रू राजा । शुम्भो गाथापतिः । शुम्भश्रीर्भार्या । शुम्भा दारिका । शेषं यथा area: काली दारिकाया वर्णनं तथात्रापि विज्ञेयम्, नवरं = विशेस्त्वके पांच अध्ययन प्ररूपित किये हैं तो हे भदंत ! द्वितीयवर्ग के प्रथम अध्ययन का उन्होंने क्या अर्थ प्रतिपादित किया हैं ? इस प्रश्न का उत्तर देने के लिये सुधर्मा स्वामी उनसे इस प्रकार कहते हैं कि-हे जंबू ! - उस काल और उस समय में राजगृह नाम का नगर था उसमें गुणशिलक नाम का उद्यान था । उसमें वर्द्धमान स्वामी आये । प्रभु का आगमन सुनकर वहां की समस्त जनता उन्हें वंदन के लिये अपने २ स्थान से चल कर उस गुणशिलक उद्यान में आई । प्रभु ने सबको धर्म का उपदेश दिया परिषद् उपदेश सुनकर प्रभु की यावत् पर्युपासना की । ( तेणं काले तेणं समर्पणं ) उसी काल और उसी समय में ( सुभादेवी पलिचंचाए रावहाणीए सुंभवडेंसए भवणे सुभंसि सीहासांसि कालीगमएणं जान नदृविहि उवदंसेत्ता जाव पडिगया पुव्वभव पुच्छा, सावस्थी गयरी, कोइए बेइए जियसत्तू राधा, सुंभे गाहाबई सुंभ સ્થાનને પ્રાપ્ત કરેલા શ્રવણુ ભગવાન મહાવીરે ખીજા વર્ગના પાંચ અધ્યયન પ્રરૂપિત કર્યાં છે. તે હે ભદન્ત ! જા વર્ગના પ્રથમ અધ્યયનને તેમણે શે। અર્થ પ્રતિપાદિત કર્યો છે ? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં શ્રી સુધાં સ્વામી તેમને આ પ્રમાણે કહે છે કે હું જ બૂ ! તે કાળે અને તે સમયે રાજગૃહ નામે નગર હતું. તેમાં ગુણશિક નામે ઉદ્યાન હતુ. તેમાં વમાન સ્વામી પધાર્યાં. પ્રભુનું આગમન સાંભળીને ત્યાંના અધા નાગરિકે તેમને વઢના કરવા માટે પાતપેાતાને સ્થાનેથી નીકળીને ગુરુશિલક ઉદ્યાનમાં આવ્યા. પ્રભુએ બધાને ધના ઉપદેશ આપ્યું. परिषट्टे धर्मोपदेश सांलीने अलुनी यावत् पर्युपासना उरी. ( तेण कालेन ते समएण ) ते अणे अने ते सभये (सुंभा देवी वलिवाए रायहाणीए सुंभवडेंसर भरणे सुभंसि सीदासणंसि काली मरणं जाव नह विर्दि उवसेत्ता जान पडिगया, पुव्यभवपुच्छा सावत्थी णयरी, कोए चेइए जियसत्तू राया, सुंभे गाहावई, सुंभसिरी भारिया, सुंभा शा १०३ For Private and Personal Use Only

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