Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 03
Author(s): Kanahaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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८२०
शाताघमकथाङ्गसूत्र
अथ तृतीयो वर्गः प्रारभ्यते - ' उक्खेवओ तइयवास्स ' इत्यादि मूलम् - उक्खेवओ तइयवग्गस्स एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं तइयस्स वग्गस्स चउपवणं अज्झयणा पन्नत्ता, तं जहा- पढमे अज्झयणे जाव चउपपणइ मे अज्झयणे, जइणं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं तइयस्स वग्गस्स चउप्पन्नज्झयणा पण्णत्ता पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स समणेणं जाव संपत्तेगं के अडे पण्णत्ते ?, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णयरे गुणासि - लए इए सामी समोसढे परिसा णिग्गया जाव पज्जुवासइ, तेणं कालेणं तेणं समएणं अलादेवी धरणाए रायहाणीए अलावर्डस भवणे अलंसि सीहासांसि एवं कालीगमएणं जाव
विहिं वसेत्ता पडिगया, पुव्वभवपुच्छा, वाणारसी णयरी काममहावणे इए अले गाहावई अलसिरी भारिया अला दारिया सेसं जहा कालीए णवरं धरणस्स अग्गमहिसित्ताए उववाओ साइरेगं अद्धपलिओदमंटिई सेसं तहेव, एवं खलु णिक्खेवओ पढमज्झयणस्स, एवं कमा सक्का सतेरा सोयामणी इंदा घणविज्जुयावि सव्वाओ एयाओ धरणस्स अग्गमहिसीओ एवं एते छ अज्झयणा वेणुदेवस्सवि अविसेसिया भाणियव्वा एवं जाव घोसस्सवि एए चैव छ अज्झयणा, एवमेते दाहिणिल्लाणं इंदाणं उपरणं अज्झवणा भवंति, सव्वाओवि वाणारसीए का ममहावणे चेइए तइयवग्गस्स णिक्खेव ओ॥सू०८ ॥ तइओ वग्गो समत्तो ॥ ३॥
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