Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 03
Author(s): Kanahaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 869
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - भोत्स्यन्ति, मोक्ष्यन्ति सर्व दुःखानामन्तं करिष्यन्ति । एवं स्खलु हे जम्बू। निशे पको दशमवर्मस्वः ॥ सू०१५ ॥ ॥ इति धर्मकयानां दशमो वर्गः समाप्तः ॥१०॥ मूलम्--एवं खल जंब समणेणं भगवया महावीरेणं आदि. मरे सयंसंबुद्धणं पुरिसोत्तमेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं.. अयमट्रे पण्णते॥ ॥ धम्मकहासुयक्खंधी समत्तो दसहिं वग्गेहिं ॥ ॥णायाधम्मकहाओ. समत्ताओ॥ .. टीका-सुधर्मास्वामी कथयति-' एवं खलुः' इत्यादि । एवं खलु हे जम्मूः। श्रमणेन भमवता महावीरेण प्रादिकरेण तीर्थकरेण स्वयं सम्बुद्धेन पुरुषोत्तमेन सिद्ध पद की भोक्ता बनेंगी केवलज्ञानरूप आलोक से समस्त बराबर पदार्थों की ज्ञाता बनेगी। द्रव्य एवं भावरूप समस्त कर्मों से छुटजावेंगी इस तरह ये वहीं से समस्त दुःखों का अन्त करने वाली होंगी। इस प्रकार हे जंबू! यह दशवेवर्ग का निक्षेपक है। ॥ दसमवर्ग समाप्त ॥ :: एवं खलु जंबू! इत्यादि। .... टीकार्य-( एवं खलु जंबू! समणेणं भगवया महावीरेणं आदि गरण नित्यगणं सर्यसंयुद्धणं पुरिसोसमेणं जाप संपत्तेण धम्मकहाण अयमढे पण्णते).अब जंबूस्वामी से श्री सुधमास्वामी कहते हैं कि પદ મેળવશે એ બધી કેવળજ્ઞાન રૂપ આલોકથી સમસ્ત ચર અને અચર પાનું જ્ઞાન મેળવશે. દ્રવ્ય અને ભાવરૂપ બધા કર્મોથી મુકત થઈ જશે... આ પ્રમાણે એ બધી ત્યાંથી જ બધા એને અત કરનારી થશે. આ પ્રમાણે હે જબૂ! આ દશમા વર્ગને નિક્ષેપક છે. tu सभात. एवं खलु जंबू! इत्यादि(एवं खलु जंबू ! समणेणे भगाया महावीरेणं आदिगरेणं तित्यगरेणं सर्व संयुदे पुरिसोतमेणं नाव संपत्तेण धम्म कहाणं अयम पणते) For Private and Personal Use Only

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