Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 03
Author(s): Kanahaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 802
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भनगारधर्मामृतवर्षिणी टी० श्रु. २५० १ अ० १ कालीदेवीवर्णनम् ७८३ 'जहा दोबई जाव ' यथा द्रौपदी यावत्-द्रौपदीवत् छत्रादीन् तीर्थङ्करातिशयान् दृष्ट्वा धार्मिकाद् यानप्रबरोदवतरति, पश्चाभिगमपूर्वकं भगवत्समीपे गत्वा वन्दित्वा नमस्यित्वा च भगवन्तं 'पज्जुवासइ' पर्युपास्ते । ततः खलु पाचौँऽर्हन पुरुषादानीयः काल्यै दारिकायै तस्यां च महातिमहालयायां पर्षदि धर्म कथयति ततः खलु सा काली दारिका पार्श्वस्याहतः पुरुषादानीयस्यान्तिके धर्म श्रुत्वा निशम्य हृष्ट याद् हृदया पार्श्व महन्तं पुरुषादानीयं त्रिकृत्वो वन्दते नमस्यति, वन्दित्वा वह उस पर आरूढ हो गई। आरूढ होकर वह वहां से चली। ज्योंही उसने द्रौपदी की तरह तीर्थकरातिशयरूप छत्रादि विभूति को देखा तो वह देखकर उस धार्मिक यानप्रवर से नीचे उतरी। और पञ्च अभिगमन पूर्वक भगवान के पास जाकर उसने उनको वंदना की, उन्हें नमस्कार किया-वंदना नमस्कार करके फिर उसने उनकी पर्युपासना की। (तएणं पासे अरहा पुरिसादाणीए कालीए दारियाए तीसे य महइमहालयाए परिसाए धम्मो कहिओ) पुरुषादानीय अहंत प्रभु पार्श्वनाथने उस काली दारिकाको उस विशाल परिषदाके बीचमें धर्मकथा सुनाई। (तएणं सा काली दारिया पासस्स अरहओ पुरिसादाणीयस्स अंतिए धम्म सोच्चा णिसम्म हट्ठ जाव हियया पास अरहं पुरिसादाणीयं तिक्खुत्तो वंदह नमंसइ) पुरुषादानीय उन अर्हत पार्श्वनाथ प्रभु से धर्म को सुनकर और हृदय में अवधारण कर वह काली दारिका बहुत अधिक हर्षित ત્યાંથી રવાના થઈ. દ્રૌપદીની જેમ તેણે જ્યારે તીર્થકરાતિશય રૂ૫ છત્ર વગેરે વિભૂતિને જોઈ કે જોતાંની સાથે જ તે ધાર્મિક યાન-પ્રવરમાંથી નીચે ઉતરી પડી. અને પંચ અભિગમનપૂર્વક ભગવાનની પાસે જઈને તેમને વંદના કરી, તેમને નમસ્કાર કર્યા. વંદના અને નમસ્કાર કરીને તેણે તેમની પયું પાસના કરી. ત્યારપછી (तएणं पासे अरहा पुरिसादाणीए कालीए दारियाए तीसे य महइमहा. लयाए परिसाए धम्मो कहिओ) પુરુષાદાનીય અહત પ્રભુ પાર્શ્વનાથે તે કાલી દરિકાને તે વિશાલ પરિ ષદાની સામે ધર્મકથા સંભળાવી. (तएणं सा काली दारिया पासस्स अरही पुरिसादाणीयस्स अंतिए धम्म सोच्चा णिसम्म हट्ट जाव हियया पासं अरहं पुरिसादाणीयं तिक्खुत्तो वंदइ नमसइ) પુરુષાદાનીય તે અહંત પાર્શ્વનાથ પ્રભુની પાસેથી ધર્મને સાંભળીને અને તેને હૃદયમાં અવધારિત કરીને તે કાલી દારિકા બહુ જ વધારે હર્ષિત For Private and Personal Use Only

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