Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 03
Author(s): Kanahaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 815
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जाताधर्मकथासूत्र शीर्ष धावति, मुखं धावति स्तनान्तराणि धावति, कक्षान्तराणि धावति, गुह्यान्तराणि धावति, यत्र यत्रापि च खलु — ठाणं वा ' स्थानम्-उपवेशनस्थलम् 'सेज्जं वा' शय्यांशयनभूमिम् , “णिसीहियं वा ' नैषेधिकीं-स्वाध्यायभूमिम् 'चेएइ ' चेतयते करोति ' तं' तत्-स्थानादिकं 'पुवामेव ' पूर्वमेव-उपवेशनादि क्रियायाः पूर्व ' आसयइ वा' आस्ते उपविशति, 'सबइ वा ' शेते= शयनं करोति, ‘णिसीहइ वा ' निषेधयति-स्वाध्यायं करोति वा । ततः खलु सा पुष्पचूलाऽऽर्या कालीमार्यामेवमवादी-नो खलु कल्पते हे देवाणुपिये ! श्रमणीनां हत्थे धोवइ पाए धोवर, सीस धोवइ मुहं धोवई थणंतराइं धोवइ, कक्खंतराणि धेोवह, गुज्झंतराइं धोवइ, जत्थर वि य णं ठाणं वा सेज्जं . पाणिसीहियं वा चेइए-तं पुत्वामेव अभुक्खेत्ता तओपच्छा आसयइ, वा सयइ वा णिसीहइवा) पार २ हाथों को धेने लग गई, पैरों को धोने लग गई, शिर को धोने लग गई, मुंह को धोने लग गई, स्तनान्तरों को-स्तनों के मध्यभाग को-धोने लग गई, कक्षान्तरों को-कांखो के मध्यभाग को-धोने लग गई, गुह्यभागों को-गुप्तांगों को धोने लग गई। जहां २ वह बैठने का स्थान, शयन, स्थान, स्वाध्याय करने का स्थान नियत करती उसे पहिले से ही वह पानी से सिंचित कर देती-बाद में वह वहां बैठती शयन करती, स्वाध्याय करती, (तएणं सा पुष्फचूला अज्जा कालिं अज्जं एवं वयासी ) उस काली आर्या की इस स्थिति को देखकर पुप्फचूला आर्या ने उसे इस प्रकार कहा-(नो खलु कप्पइ, कक्खंतराणी धोवइ, गुज्झंतराई धोवइ, जत्थ२ वि य गं ठाण वा सेज वा णिसीहियं वा चेएई तं पुवामेव अब्भुक्खेत्ता तओपच्छा आसयइ, वा सयइ वा णिसोहइ वा) વારંવાર હાથને છેવા લાગી, પગોને દેવા લાગી, માથાને જોવા લાગી, મુખને જોવા લાગી, સ્તનાક્તરને-સ્તનના વચ્ચેના સ્થાનને ધેવા લાગી, કક્ષાં તરોને-બગલોના મધ્ય ભાગને જોવા લાગી, ગુહ્ય ભાગોને-ગુહ્યાંગને ધોવા લાગી. જ્યાં જ્યાં તેને બેસવાનું સ્થાન, શયનસ્થાન, સ્વાધ્યાય કરવાનું સ્થાન નક્કી કરતી તે તેને પહેલેથી જ તે પાણીથી સિંચિત કરી દેતી, ત્યારપછી તે त्या मेसती, शयन ४२ती, २पाध्याय ४२ती. ( तएणं सा पुप्फचूला अजा कालिं अज्ज एवं वयात्री) जी मानित भी स्थिति निधन भुपयू॥ माया તેને આ પ્રમાણે કહ્યું કે For Private and Personal Use Only

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