Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 03
Author(s): Kanahaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 823
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir to माताधर्मकथाङ्गसूत्र कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता ? भगवानमाह-हे गौतम ! ' अड्राइज्जाई' अर्द्धतृतीये सार्द्ध द्वे पल्योपमे स्थितिः प्रज्ञप्ता । ___ गौतमः पृच्छति-काली हे भदन्त ! देवी तस्माद्देवलोकाद् अनन्तरम् आयुभवस्थितिक्षयानन्तरं 'उबट्टित्ता' उदृत्य-निस्सृत्य कुत्र गमिष्यति कुत्रउत्पत्स्यते ?। भगवानाह-हे गौतम ! सा काली देवी देवलोकाच्च्युत्वा महाविदेहे वर्षे उत्पध सेत्स्यति । कालीए णं भंते ! देवीए केवइयं कालं ठिई पगत्ता ? गोयमा अदाइ. जजाई पलिओवमाई ठिईपण्णत्ता) इस तरह से हे गौतम ! काली देवी ने वह दिव्य देवर्द्धि ३, अर्जित की है स्वाधीन की है और उसे अपने उपभोग के योग्य बनाया है। अब गौतम पुनः प्रभु से पूछते हैं-कि हे भदंत ! कालीदेवी की कितनी स्थिति है ? उत्तर में प्रभु ने उनसे कहा-हे गौतम ! कालीदेवी की स्थिति अढाई पल्य की (प्रज्ञप्त हुई ) है (काली णं भंते ! देवी ताओ देवलोगाओ अणंतरं उवहित्ता कहिं गच्छहिइ, कहिं उववज्जिहिइ, ? गोयमा! महाविदेहेवासे सिन्झिहिइ एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तणं पढमस्स वग्गस्स पढमज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते त्तिबेमि, धम्मकहाणं पढमज्झयणं समतं) हे भदंत ! कालीदेवी उस देवलोक से आयु एवं भवस्थिति के क्षय के अनन्तर निकलकर कहां जावेगी, कहां उत्पन्न होगी? इस गौतम के प्रश्न का उत्तर प्रभु ने उन्हें इस प्रकार दिया-गौतम ! वह काली देवी देवलोक से चव कर महा આ પ્રમાણે હે ગૌતમ! કાલી દેવીએ તે દિવ્ય દેવદ્ધિ ૩ પ્રાપ્ત કરી છે. સ્વાધીન બનાવી છે અને તેને પોતાને માટે ઉપગ ગ્ય બનાવી છે. હવે ગૌતમ ફરી પ્રભુને પૂછે છે કે હે ભદન્ત ! કાલી દેવીની સ્થિતિ કેટલી જવાબમાં પ્રભુએ તેમને કહ્યું કે હે ગૌતમ! કાલી દેવીની સ્થિતિ અઢી પલ્યની (प्रशस थर्ड) छे. ( कालीणं भंते ! देवी ताओ देवलोगाओ अणंतर उअद्वित्ता कहि गच्छि. हिइ, कहि उववजिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्ज्ञि हिइ, एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव सपत्तेणं पढमस्स वग्गस्स पढमज्झ यणस्स अयमद्वे पण्णत्ते त्ति बेमि, धम्मकहाणं पढमज्झयणं समत्तं ) હે ભદન્ત ! કાલી દેવી તે દેવકથી આયુ અને ભવસ્થિતિને પૂરી કરીને કયાં જશે? કયાં ઉત્પન્ન થશે? આ પ્રમાણે ગૌતમના પ્રશ્નને સાંભળીને પ્રભુએ ઉત્તરમાં તેને કહ્યું કે હે ગૌતમ! તે કાલી દેવી દેવકથી ચવીને For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872