Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 03
Author(s): Kanahaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
४७९
अनगारधर्मामृतवाणी डो० भ० १६ द्रौपदीबरितनिरूपणम् दोवइ देवी ण णज्जइ केणइ देवेण वा दाणवेण वा किन्नरेण वा किं पुरिसेण वा महोरगेण वा गंधव्वेण वा हिया वा णीया वा अवक्खित्ता वा ?, इच्छामि णं ताओ ! दोवईए देवीए सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं कथं, तरणं से पंडुराया कोडुंबिय पुरिसे सहावे सद्दावित्ता एवं वयासी- गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! हस्थिणाउरे नयरे सिंघाडगतिय चउक्कचच्चर महापहपहेसु महया सणं उग्घोसेमाणा २ एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! जुहिट्टिलस्सरण्णो आगासतलगंसि सुहपसुत्तस्स पासाओ दोवई देवी ण णजइ केणइ देवेण वा दाणवेण वा किन्नरेण वा किंपुरिसेण वा महोरगेण वा गंधव्वेण वा हिया वा नीया वा अवक्खित्ता वा तं जो णं देवाणुप्पिया ! दोवइए देवीए सुई वा जाव पवित्तिं वा परिकहेइ तस्स णं पंडुराया विउलं अत्थसंपयाणं दाणं दलयइ तिकट्टु घासणं घोसावेहर एयमाणत्तियं पञ्चपिणह, तरणं ते कोडुंबिय पुरिसा जाव पच्चपिणंति, तण से पंडूराया दोवईए देवीए कत्थइ सुई वा जाव अलभमाणे कोंती देवी सदावेइ सदावित्ता एवं वयासी - गच्छह णं तुमं देवाप्पिया ! बारवई णयरिं कण्हस्स वासुदेवस्स एयमहूं णिवेदेहि कण्ह णं परं वासुदेवे दोवइए मग्गणगवेसणं करेज्जा अन्नहा न नज्जइ दोवइए देवीए सुतीं वा खुतीं वा पवतीं वा उवलभेज्जा, तपणं सा कोंती देवी पंडुरण्णा एवं बुत्ता समाणी जाव पडिसुणेइ पडिणित्ता पहाया कयबलिकम्मा हत्थिखंध
For Private and Personal Use Only