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2 दूसरा अध्याय
बौद्ध धर्म का उदय
'स समय महावीर सन्यासावस्था को ग्रहण करके संसार
90 को विश्वप्रेम का सन्देश दे रहे थे। जिस समय सारे भारतीय समाज के अन्दर जैन धर्म रूपी क्रान्ति प्रसारित हो रही थी । ठीक उसी समय इसी भारत भूमिपर एक और महान् पुरुष अवतीर्ण हो रहे थे। मालूम होता है कि उस समय समाज की इतनी अधिक दुरावस्था हो रही थी कि भगवती प्रकृति को केवल एक ही दिव्यात्मा उत्पन्न करके सन्तोष नहीं हुआ। समाज की उस जटिल अवस्था को सुलझाने के लिये उसे एक और महापुरुष को उत्पन्न करने की आवश्यकता प्रतीत हुई और इसीलिए शायद उसने भगवान् महावीर के पश्चात ही भगवान बुद्ध को उत्पन्न किया।
मगधदेश के जिस शाक्य प्रजातन्त्र का वर्णन हम पहले कर आये हैं। उस समय उसके सभापति राजा शुद्धोधन थे। इनकी राजधानी कपिल वस्तु में थी। भगवान् बुद्धदेव का जन्म इन्हीं शुद्धोधन की रानी महामाया के गर्भ से हुआ था। बचपन से ही इनका मन सांसारिक वस्तुओं की ओर आकृष्ट न होता
था। राजा सुद्धोधन ने इनको संसार में आसक्त करने के लिए Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com