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भगवान् महाबीर
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उच्च धर्मतत्वों एवं पद्धति की दृष्टि से जैन-धर्म और धर्मों से तुलनात्मक शास्त्रों में अत्यन्त आगे बढ़ा हुआ धर्म है।।
द्रव्य का ज्ञान सम्पादन करने के लिये जैन-धर्म में योजित एक स्याद्वाद का स्वरूप देख लेना ही पर्याप्त होगा जो कि बिल्कुल आधुनिक पद्धति के साथ मिलता जुलता है । निस्सन्देह जैनधर्म, धर्म-विचार की परम श्रेणी है और इस दृष्टि से केवल धर्म का वर्गीकरण करने ही के लिये नहीं किन्तु विशेषतः धर्म का लक्षण निश्चित करने के लिये उसका रुचिपूर्वक अभ्यास करना आवश्यक है।
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