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भगवान् महावीर एक लेख बुद्धिष्ट रिव्यु ना पुस्तक अंक १ मां प्रगट थयेला अहिंसा अने वनस्पति अहार शीर्षक लेख का गुजराती अनुवाद जैन साहित्य संशोधक अंक ४ में छपा है उसमें से कुछ वाक्य उद्धृत ।
(१) अतियारे आस्तीत्व धरावतां धर्मों मां जैन-धर्म एक एवो धर्म छे के जेमा अहिंसा नो क्रम संपूर्ण छे अने जो शक्य तेटली दृढ़ताथी सदा तेने वलगी रह्यो छे।
(२) ब्राह्मण धर्म मां पण घण लांवा समय पच्छी संन्यासियो माटे आ सुक्ष्मतर अहिंसा विदित थई अने आखरे वनस्पति
आहार ना रूप मां ब्राह्मण ज्ञाति मां पण ते दाखील थई हती कारण एछे के जैनो ना धर्म तत्वोए जे लोक मत जीत्यो हतो तेनी असर सजड रीते बधती जती हती,
( ३१ ) श्रीयुत बाबू चम्पतरायजी जैन बैरिस्टर एट-ला हरदोई सभापति, श्री भ० दि० जैन महासभा का ३६ वां अधिवेशन लखनऊ ने अपने व्याख्यान में जैन धर्म को बोद्ध धर्म से प्राचीन होने के प्रमाण दिये हैं उससे उद्धत ।।
(१) इन्सायक्लोपेडिया में मोरुपीयन विद्वानों ने दिखाया है कि जैन धर्म बौद्ध धर्म से प्राचीन है और बौद्ध मत ने जैन धर्म से उनकी दो परिभाषाएँ आश्रव व संवर लेली है अंतिम निर्णय इन शब्दों में दिया है कि
जैनी लोग इन परिभाषाओं का भाव शब्दार्थ में समझते हैं और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग के संबंध में इन्हें व्यवहृत करते हैं ( आश्रयों के संवर और निर्जरा से मुक्ति प्राप्त होती है) अब
यह परिभाषाएँ उतनी ही प्राचीन हैं जितना कि जैन धर्म है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com