Book Title: Bhagwan Mahavir
Author(s): Chandraraj Bhandari
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 473
________________ ( ४६७ ) मारवाड़ के अन्दर ढाई घर की बावत लोग ऐसा भी कहते हैं कि एक दफा महाराजा जोधपुर को धन की बड़ी आवश्यकता पड़ी, उन्होंने सुना कि मारवाड़ के अन्दर रीयां वाले सेठों के पास अथाह द्रव्य है । महाराजा साहब ( ऊँटनी) सांड पर बैठ कर रीयां ग्राम में गये और अपना डेरा ग्राम बाहर बावड़ी पर लगाया। रीयांवाले सेठ प्रातःकाल प्रति दिन स्नान करने को बिला नागा बावड़ी पर आते थे उस दिवस भी आये और स्नान करके जाने लगे तो उन्होंने एक पराक्रमी तेजस्वी राजपूत सरदार को चिन्ता में निमग्न बैठा हुवा देख कर पूछा कि आप कौन सरदार हैं, यहाँ किस कारण पधारे हैं, कहाँ निवास स्थान है और किधर जाने का विचार है ? राजपूत सरदार ने कहा कि मैं एक ग्राम का ठाकुर हूँ किसी विशेष कारण से यहाँ आया हूँ किन्तु कारण की सिद्धि होना बड़ो कठिन है यही देख कर मुझे चिन्ता होती है। सेठ ने कहा कि आप मेरे घर पर पधारिए, और भोजन करिए। बाद आगमन का कारण भी बतलाइए, भगवत् कृपा से उसको पूर्ण करने का प्रयत्न किया जायगा क्योंकि हमारे पास जो कुछ भी है वह सब आप लोगों का ही है। हमारा कर्त्तव्य है कि इस समय पर आप लोगों की सहायता करें । यह श्रवण कर महाराजा साहब को शान्ति हुई, अत्याग्रह करने पर वे सेठ के मकान पर गये, वहाँ भोजन किया, और बाद में कहा कि हमें राज्य के निमित्त इतनी रकम की जरूरत है। सेठ ने कहा, बहुत अच्छा, क्या बड़ी बात है, आप पधार जाइए मैं भेजता हूँ। महाराजा साहब के चले जाने पर सेट Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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