Book Title: Bhagwan Mahavir
Author(s): Chandraraj Bhandari
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 476
________________ ( ४७० ) नाम हुक्म जारी किया था कि सेठ हमीरमल जी को पेशवाई के लिये स्टेशन पर रहे। पंजाब में उनकी इतनी इज्जत थी कि जब कभी वे जाते थे तहसीलदार आदि को उनकी पेशवाई के लिये स्टेशन पर जाना पड़ता था । पंजाब पर आधिपत्य करने के लिये जब अंग्रेजी फौज भेजी गई थी उस समय सेठ हमीरमल जी का एजन्ट गुलाबचन्द फौज के साथ खजानची था, फौज का कब्जा होने पर उनका वहाँ खजाना हो गया। राय सेठ चान्दमल । सेठ चान्दमल जी का जन्म संवत १९०५ में हुआ था। उनके धीरजमलजी और चन्दनमलजी दो भाई थे, सब खुशहाल थे व कारोबार अच्छी तरह से चलता था। सेठ चांदमल जी अपने पिता और दादा के सदृश पराक्रमी, साहसी, दानी, उदारचित्त और विचारवान थे। इनकी चमत्का. रिक बुद्धि, और अनुभव की ख्याति चहुंओर थी छोटी अवस्था में ही इन्होंने अनेक गुण धारण कर लिये थे। सम्वत् १९२१ में महाराजा साहब जोधपुर ने इनको 'सेठ' की उपाधि प्रदान की वह उपाधि पूर्व महाराजा विजयसिंह जी ने वहां परम्परा के लिये दे दी थी। इस समय पेशावर, जालन्धर, घोघोषारपुर, काँगरा, सांभर; सागर और मुरार में खजाने थे। बाम्बे, जबलपुर, नरसिंगपुर मिरजापुर में सागर, रोहिल्ला, दमोह, कोरी, सोरी, जालन्धर, होशियारपुर, धर्मशाला, पेशावर, ग्वालियर, जोधपुर, सागर, अजमेर, भेलसा, झांसी, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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