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भगवान् महावीर
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अन्यमतधारो मि० कन्नुलालजी जोधपुर की सम्मति ।
( देखा The Theosophist माह दिसम्बर सन् १९०४ व जनवरी सन् १९०५)
जैन-धर्म एक ऐसा प्राचीन धर्म है कि जिसकी उत्पत्ति तथा इतिहास का पता लगाना एक बहुत ही दुर्लभ बात है । इत्यादि
मि० आवे जे० ए० डवाई मिशनरी की सम्मतिः
(Description of the cbaracter manners and customs of the people of India and of their institution and ciril) ___ इस नाम की पुस्तक में जो सन् १८१७ में लंडन में छपी है अपने बहुत बड़े व्याख्यान में लिखा है कि:-निःसन्देह जैनधर्म ही पृथ्वी पर एक सच्चा धर्म है, और यही मनुष्य मात्र का आदि धर्म है। आदेश्वर को जैनियों में बहुत प्राचीन
और प्रसिद्ध पुरुष जैनियों के २४ तीर्थकरों में सबसे पहले हुए हैं ऐसा कहा है।
(८) श्रीयुत वरदाकान्त मुख्योपाध्याय एम० ए० बंगला, श्रीयुत नाथूराम प्रेमी द्वारा अनुवादित हिन्दी लेख से उद्धृत कुछ वाक्य ।
(१) जैन निरामिष भोजी (मांस त्यागी) क्षत्रियों का धर्म है।
* आदिश्वर को जैनी लोग ऋषभदेव जी कहते हैं ।
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