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भगवान महावीर
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long life, but sbe connot make us happy, every one of us must do that for hismelf. Our language expresses this admirably. What do we say if we bad a happy day ? We say we bave enjcyed "ourselves" This expression of our motber tongue seems very suggestive. Our happiness depends on ourselves
“पैसा हमको सुखी नहीं बना सकता । सफलता हमको सुखी नहीं बना सकती । मित्रगण हमे सुखी नहीं कर सकते । खास्थ्य और शक्ति भी हमको सुखी नहीं बना सकती। यद्यपि ये सब वस्तुएँ सुखके लिए निर्माण की गई हैं, पर वास्तविक सुख को देने में ये सब असमर्थ हैं । प्रकृति सब कुछ कर सकती है। वह हमको स्वस्थता, पैसा, दीर्घ जीवन आदि सब वस्तुएँ प्रदान कर सकती है। पर वह भी सच्चा सुख नहीं दे सकती। प्रत्येक व्यक्ति को सुखी होने के लिये अपने आप स्वावलम्बन पर खड़े होना चाहिये । इस बात को हमारी भाषा भलिभाँति सिद्ध करती है । जब हमें सुख मिलता है, उस दिन हम उसे किस प्रकार प्रकाशित करते हैं ! हम कहते हैं कि हमने अपने आप कामनोरंजन किया । हमारी मातृभाषा का यह शब्द Our selves बहुत प्रमाण युक्त मालूम होता है। हमारा सुख हमारे स्वाव. लम्बन पर निर्भर है।
इस ऊंचे सत्य का भगवान् महावीर ने मनन और अनुभव किया था । और इसके अनुसार उन्होंने अपने जीवन प्रवाह को बदला था । अट्ठाईस वर्ष की अवस्था में ही उनके अन्तर्जगत् में इन भावों ने खलबली डाल दी थी और उसी समय वे दीक्षा लेने
को प्रस्तुत हो गये थे पर कुटुम्बियों के आग्रह से गृहस्थाश्रम Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com