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भगवान् महावार
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बारहों व्रत ग्रहण करने की सामर्थ्य न होने पर शक्ति के अनुसार भी व्रत ग्रहण किये जा सकते हैं। इन व्रतों का मूल सम्यक्त्व है। सम्यक्त्व प्राप्ति के बिना गृहस्थ-धर्म का सम्पादन नहीं हो सकता है।
रात्रि भोजन का निषेध ।
रात्रि में भोजन करना अनुचित है, इस विषय पर 'पहले अनुभव-सिद्ध विचार करना ठीक होगा । सन्ध्या होते ही
अनेक सूक्ष्म जीवों के समूह उड़ने लगते हैं । दीपक के पास रात में बेशुमार जीव फिरते हुए नज़र आते हैं, खुले रक्खे हुए दीपक पात्र में सैकड़ों जीव पड़े हुए दिखाई देते हैं । इसके सिवा -रात होते ही अपने शरीर पर भी अनेक जीव बैठते हैं। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि, रात्रि में जीव-समूह भोजन पर भी अवश्यमेव बैठते ही होंगे। अतः रात में खाते समय, उन जीवों में से जो भोजन पर बैठते हैं, उन जीवों को लोग खाते हैं,
और इस तरह उनकी हत्या का पाप अपने सिर लेते हैं । कितने ही जहरी जीव रात्रि-मोजन के साथ पेट में चले जाते हैं, और
अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न करते हैं। कई ऐसे जहरी जन्तु भो " होते हैं, जिनका असर पेट में जाते ही नहीं होता, दीर्घ काल के
बाद होता है । जैसे जूं से जलोदर, मकड़ी से कोढ़ और चिंटो से "बुद्धि का नारा होता है । यदि कोई तिनका खाने में आ जाता है तो वह गले में अटक कर कष्ट पहुँचाता है । मक्खी खा जाने
से बमन हो जाती है और अगर कोई जहरी जन्तु खाने में Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com