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आठवां अध्याय
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धर्म के तुलनात्मक शास्त्र में जैन धर्म का स्थान
तलनात्मक धर्मशास्त्र में जैन धर्म को कौन सा स्थान प्राप्त
ॐ है यह प्रश्न बड़ा ही महत्वपूर्ण है। इसके विषय में hot डा० परटोल्ड ने खानदेश के धूलिया शहर में
एक बड़ा ही महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया था, पाठकों को जानकारी के निमित्त हम उसका सारांश नीचे
संसार में इस समय दो जातियाँ ऐसी दृष्टिगोचर होती हैं जिनकी धार्मिक कल्पनाओं का विकास उच्च धार्मिक सोपानों तक हुआ है, इनमें एक सेमेटिक और दूसरी आर्य जाति है। धर्म की उच्चतम मर्यादा और उसके विकास को पूर्णतया समझने के लिये हमें उन दोनों जातियों के विस्तृत इतिहास का अध्ययन करना चाहिये।
सेमेटिक जाति के धार्मिक इतिहास का प्रथम प्रारम्भ. बैविलोनिया से होता है। शुरू से ही उसके इतिहास का मुकाव, पश्चिम को ओर हुआ है। ऐतिहासिक काल की ओर दृष्टि
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